
कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के प्रतिबंध के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का ट्वीट सामने आया है। उन्होंने गृह मंत्रालय की अधिसूचना को पोस्ट करते हुए अपने ट्वीट में लिखा है, “बाय-बाय पीएफआई।”
इसके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कहा, राजस्थान में जिस प्रकार कई जिलों में दंगा हुआ, उसी समय हम कह रहे थे कि PFI का इसमें हाथ था। कर्नाटक में भी जब सिद्धारमैया कि सरकार थी, उस समय भी 23 से अधिक लोगों की हत्या हुई थी। देश को अखंड रखने के लिए इस पर(PFI) बैन जरूरी था।
विश्व हिंदू परिषद ने भी दी प्रतिक्रिया
पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद विश्व हिंदू परिषद ने भी प्रतिक्रिया दी है। एक ट्वीट में लिखा गया है कि ‘पीएफआई जैसी राष्ट्र विरोधी शक्तियों को समाप्त करने के लिए उठाए गए कदम का विश्व हिंदू परिषद स्वागत करती है। आशा करती है की उनके सहयोगी भी इस घटना से सबक लेंगे। अब यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जिस प्रकार सिम्मी से पीएफआई बना, कोई और ना खड़ा हो जाए।
कर्नाटक सीएम बोले, समय आ गया था
कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा, देश के लोगों समेत पूरा विपक्ष भी लंबे समय से पीएफआई पर प्रतिबंध की मांग कर रहा था। पीएफआई देश विरोधी गतिविधियों, हिंसा में शामिल था। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का समय आ गया था। भारत सरकार ने सही फैसला लिया है। यह सभी राष्ट्र विरोधी समूहों के लिए एक संदेश है। मैं लोगों से ऐसे संगठनों से नहीं जुड़ने का आग्रह करता हूं।
वोट बैंक के नाम पर आतंकियों को संरक्षण देता था विपक्ष
गृह मंत्रालय के फैसले पर भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा है कि केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन हमने पूर्व में देखा है कि कैसे कांग्रेस, सपा, राजद, वामपंथी आदि ने वोटबैंक के नाम पर आतंक को राजनीतिक संरक्षण दिया। कैसे कांग्रेस ने राजस्थान में PFI को चलाने की अनुमति दी और कर्नाटक में कांग्रेस ने PFI पर केस कैसे वापस लिए थे।
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