कोविड महामारी के बीच बीजेपी के द्वारा वर्चुअल रैली का आयोजन के द्वारा चुनावी की तैयारियों को लेकर शरद यादव ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ऐसे में भाजपा अपने चुनावों की तैयारी में लग गई है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं इसकी निंदा करता हूँ।
डिजिटल रैली पर खर्च करना निंदनीय
उन्होंने कहा कि जिस तरह इस समय में जब मजदूर से लेकर हर आम आदमी को खाने के लाले पड़े हुए हैं और ऐसे में भाजपा द्वारा डिजिटल रैली पर इतना खर्चा करना न केवल निंदनीय है बल्कि कहीं से भी शोभा नहीं देता है। सबसे बड़ी पार्टी और जिसके हाथ में सत्ता हो और ऐसा काम करे तो देश को क्या राह और दिशा दिखाएगी देशवासियों कि समझ के परे है।
अमित शाह का भाषण हास्यास्पद
उन्होंने अमित शाह के भाषण में सुनाये गए आंकड़े हास्यपद बताया और कहा कि भाषण में कोई भी वजन नहीं था। जो पैसा रैली पर खर्चा किया गया अगर वही पैसा मजदूरों के परिवारों के लिए खर्च किया गया होता तो उसका कोई अर्थ भी था। राज्य में आज हो रहे कामों और आंकड़ों की तुलना सन 2005 की राजद की सरकार से की गई जिसका कोई मतलब नहीं था। राज्य की जनता को बताना चाहिए था कि किस तरह से राज्य सरकार ने अपने राज्य के छात्रों और कामगारों को जो दूसरे राज्यों में फंसे थे अपने घर लौटना चाहते थे उनके लिए आनाकानी करी और उसी वजह से सारा भ्रम पैदा हुआ था। राज्य की शिक्षा व्यवस्था में आई कमी, कानून व्यवस्था चरमराती हुई, मनरेगा में काम ना मिलना आदि खामियों के बारे में रोशनी डालनी चाहिए थी। कुल मिलाकर भाजपा की डिजिटल रैली न केवल एक बड़ा फ्लॉप शो बल्कि मानवीय दृष्टि से जनता का मजाक उड़ाने जैसा था।
शरद यादव ने कहा कि भाजपा ने बड़ी शान और शौकत से रैली की व्यवस्थाएं की थी, वहीं राजद ने भी थाली बजाकर जिस तरह से विरोध प्रदर्शन किया। उसको भी मैं ठीक नहीं मानता हूँ। ऐसे समय में जब देश कोरोना संकट से पीड़ित है और ऊपर से मजदूरों के साथ जिस तरह से व्यवहार हुआ। उसमे थाली बजाना कोई शोभा नहीं देता है। विरोध करने के कई और तरीके भी हो सकते थे।
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