
वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘परिवर्तन रथ’ के जवाब में लालू प्रसाद ने टमटम से चुनाव प्रचार का ऐलान किया था। इसपर ‘पेटा’ (पशु अधिकार की रक्षा के लिए सक्रिय संस्था) ने विरोध दर्ज करवाया था। तब ‘पेटा’ ने टमटम के घोड़ों पर अत्याचार करार दिया था। इसको लेकर लालू यादव ने कहा था कि वे 1000 टमटम पर चुनाव प्रचार करेंगे। वे कई बार टमटम की सवारी करते देखे गए हैं।
लालू यादव ने 36 साल पहले एक जीप पश्चिम बंगाल के पानापुर से खरीदा था। वर्ष 2021 में उसी जीप स्टेयरिंग लालू यादव ने फिर से संभाला और जीप में शाही अंदाज में सफर किया। लालू और जीप के बीच खास रिश्ता साढ़े तीन दशक पुराना है। लालू के लिए ये जीप बेहद खास रही है। इस पर जब उन्होंने फिर सवारी की तो वह सोशल मीडिया में वायरल हो गया।
चारा घोटाला को लेकर लालू यादव काफी परेशानियों में घिरे रहे हैं। उन्हें इस मामले में सजा भी मिली। केस की पूरी सुनवाई के दौरान कई बार वे अदालतों का चक्कर लगाते रहे हैं। ऐसे मौकों पर भी लालू यादव अपने समर्थकों को अपने ही अंदाज में खास संदेश देने से नहीं चूकते थे। पटना हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उनके प्रस्तुत होने के दौरान कई बार वे बेली रोड पर खुली गाड़ियो की सवारी करते हुए देखे गए हैं।
1974 के छात्र आंदोलन से राजनीति के आसमान पर अपना नाम ऊंचा करने वाले लालू यादव हमेशा अपने जमीन से जुड़े रहे हैं। वे जब सांसद और विधानसभा सदस्य बने तो भी सड़क और सदन में वे हमेशा संघर्ष करते दिखे। जनता की नब्ज को पहचानने का गुर आया। मौलिक सोच और संघर्ष से विकसित हुई समझ ने उन्हें काफी परिपक्व बना दिया। वे कई बार खुद को जमीनी साबित करते हुए साइकिल की सवारी करते हुए विधानसभा जाते देखे गए।
11 जून, 1948 को गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में लालू यादव का जन्म हुआ था। उन्होंने राजनीति में बड़ा मुकाम पाने के बाद भी उन्होंने अपने समर्थकों को यह बताने से गुरेज नहीं किया कि वे भैंस की सवारी करते रहे हैं। कई बार तो वे गांव में भैंस पर बैठकर अपने दोस्तों के साथ ‘सात भइंसी के सात चभाका सोरे सेर घीव खाऊं रे, कहां बाड़े तोर बाघ मामा एक टक्कर लड़ जाऊं रे’ कहने में भी गौरव का अनुभव करते हैं। भैंस पर सवार हुए लालू यादव की एक तस्वीर आज भी सोशल मीडिया में वायरल होती रहती है।
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