
देश में पहली बार कोरोना वायरस का एक नया रूप सामने आया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में भर्ती रहीं एक मरीज की रिपोर्ट चार बार निगेटिव आने के बाद भी उसके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली है। यह एंटीबॉडी किसी इंसान के शरीर में तभी बन सकती है, जब वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो। एंटीबॉडी बनने में करीब 4 से 5 दिन का समय लगता है। यही एंटीबॉडी मरीज के शरीर में संक्रमण के खिलाफ लड़ने का काम करती है।
पांचवीं बार एंटीबॉडी की जांच की गई
दिल्ली एम्स के जीरिएटिक विभाग में एक महिला मरीज कई दिन से भर्ती थीं। महिला में टीएलसी की संख्या कम हो रही थी। डॉक्टरों ने संक्रमण संदिग्ध होने के चलते 12 दिन में चार बार आरटी-पीसीआर के जरिये कोरोना वायरस की जांच कराई लेकिन हैरानी की बात है कि एक भी जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हो सकी। यह सभी जांच दिल्ली एम्स की ही अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस प्रयोगशाला में की गई थीं। बार-बार रिपोर्ट निगेटिव आने और मरीज में लक्षण एक जैसे ही बरकरार रहने के चलते एक वक्त तक डॉक्टर भी चकरा गए। हालांकि इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को संक्रमित मानते हुए ही उपचार किया और पांचवीं बार एंटीबॉडी की जांच की गई। इस जांच में मरीज के अंदर कोरोना वायरस की एंटीबॉडी पाई गई। हाल ही में यूके के वैज्ञानिकों ने जिस डेक्सामेथासोन दवा को कोविड उपचार में कारगर बताया था, उसे भारत में अनुमति मिलने के बाद महिला मरीज को एम्स के डॉक्टरों ने 10 दिन तक दी थी। जांच में एंटीबॉडी मिलने से यह पुष्टि भी हो गई कि लक्षणों के आधार पर संदिग्ध मरीज कोरोना संक्रमित था।
लक्षण न मिलने पर किया डिस्चार्ज
डॉ. गुर्जर ने बताया कि फिलहाल मरीज की सात जुलाई को रिपोर्ट निगेटिव मिलने और हालत पहले से बेहतर होने के साथ-साथ लक्षण न मिलने के चलते डिस्चार्ज कर दिया है। वह पहले से स्वस्थ हैं। ठीक इसी तरह कई लोगों में पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी वह निगेटिव होते हैं। उनमें वायरस का कोई असर नहीं होता है।
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