बिहार के कुछ चुनिंदे पर्यटन स्थल, जो भा लेंगे आपका मन।

नमस्कार, मैं सिद्धार्थ पान्डेय आज आप सभी के लिए बिहार के कुछ जिलों से बिहार के कुछ मुख्य पर्यटन स्थलों का नाम चयनीत करके लाया हूँ। मुझे उम्मीद है कि आप जब छुट्टीयो में बिहार के इन प्रयत्न स्थलों पर जायेंगे तो यहां के खुबसुरत मंदीरों, इमारतो, नदीयों एवं प्रकृति को देखने के बाद आप भी इनके दिवाने जरूर हो जाएंगे। आज के इस लेख में मैं उन प्रयटन स्थलों से जुड़ी कुछ जानकारियाँ भी आपसे साझा करूंगा । तो आइए बढ़ते हैं आगे……..

बिहार के मुख्य पर्यटन स्थल।

1.संजय गाँधी जैविक उद्यान:  इसे संजय गाँधी वनस्पति और प्राणि उद्यान या पटना चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है। यह बिहार की राजधानी पटना के बेली रोड पर स्थित है। इस पार्क को 1973 में एक चिड़ियाघर के रूप में जनता के लिए खोला गया था। यह पार्क पटना का सबसे अधिक पिकनिक वाला स्थल है, जहां 2011 में अकेले नए साल के दिन 36,000 से अधिक आगंतुक आये थे।

इस पार्क को पहली बार 1969 में एक वनस्पति उद्यान के रूप में स्थापित किया गया था। बिहार के तत्कालीन राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो ने बाग के लिए गवर्नर हाउस परिसर से लगभग 34 एकड़ (14 हेक्टेयर) भूमि प्रदान की थी। 1972 में, लोक निर्माण ने इसमें 58.2 एकड़ (23.6 हेक्टेयर) जोड़ा, और राजस्व विभाग ने पार्क का विस्तार करने में मदद करने के लिए 60.75 एकड़ (24.58 हेक्टेयर) वन विभाग को हस्तांतरित किया। इस तरह से संजय गांधी जैविक उद्यान कुल 152.95 एकड़ यानी 62.18हैक्टेयर भूमि पर फैला हुआ है।

चिड़ियाघर वर्तमान में लगभग 110 प्रजातियों के 800 से अधिक जानवरों का घर है, जिनमें बाघ, तेंदुआ, बादल वाले तेंदुए, दरियाई घोड़ा, मगरमच्छ, हाथी, हिमालयी काले भालू, सियार, काले हिरन, चित्तीदार हिरण, मोर, पहाड़ी मैना, घड़ियाल, अजगर, गैंडा, चिंपांज़ी, जिराफ़, ज़ेबरा, एमू और सफ़ेद मोर शामिल हैं ।



वनस्पति उद्यान के रूप में शुरू होने के बाद, पार्क में वर्तमान में पेड़ों, जड़ी बूटियों और झाड़ियों की 300 से अधिक प्रजातियां हैं। पौधों के प्रदर्शन में औषधीय पौधों के लिए एक नर्सरी, एक आर्किड घर, एक फ़र्न हाउस, एक ग्लास हाउस और एक गुलाब उद्यान शामिल हैं।



पार्क में एक मछलीघर भी शामिल है जो सामान्य प्रवेश शुल्क के बाद सबसे बड़ा राजस्व जनरेटर है। एक्वेरियम में मछलियों की लगभग 35 प्रजातियां हैं, और सांप के घर में 5 प्रजाति के 32 सांप हैं।

2.बिहारी जी का मंदिर: यह मंदिर बक्सर जिले के डुमराँव प्रखंड में स्थित है। डुमरांव पहले भोजपुर रियासत का एक प्रसिद्ध गाँव हुआ करता था। अब यह गाँव न रहकर बक्सर ज़िले का एक प्रसिद्ध शहर और तहसील बन चुका है जिसकी अपनी नगरपालिका है। हिन्दुस्तान के मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ का जन्म इसी शहर के टेढ़ी बाज़ार में 21 मार्च 1916 को हुआ था।

यहाँ के दस्तकारों के हाथ की बनी चटाइयाँ और दरी काफी मशहूर हैं। यहां के बने सिंधोरे (vermilion pot) जो खरवार जाति (अनुसूचित जनजाति)के लोगों द्वारा बनाया जाता है,की देश के अलावे विदेशों तक मांग होती है। राजगढ़ स्थित ‘बांके बिहारी मन्दिर’, ‘काली जी का मन्दिर’ व ‘डुमरेजनी माई का मन्दिर’ यहाँ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। बरतानिया जमाने के बने हुए वास्तुकला के अनेक स्थान भी दर्शनीय हैं जिन्हें देखने विदेशी पर्यटक प्राय: यहाँ आते रहते हैं। इसके साथ ही राजा भोज के किले के खंडहर के अवशेष आज भी उसकी दास्तान को बयां करते हैं।

3. बाबू वीर कुंवर सिंह का किला: यह बिहार के आरा जिले के जगदीशपुर गांव ने स्थित है। कुंवर सिंह (1777 – 26 अप्रैल 1858) 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान एक उल्लेखनीय नेता थे। वह वर्तमान में जगदीसपुर के शाही उज्जैनिया (पंवार) राजपूत घर से संबंधित थे, वर्तमान में भारत के बिहार, भोजपुर जिले का हिस्सा है। 80 साल की उम्र में, उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आदेश के तहत सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र सैनिकों का चयन बैंड का नेतृत्व किया। वह बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य आयोजक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के रूप में जाना जाता है।

बाबू वीर कुंवर सिंह का किला आज भी सुरक्षित है। जो प्राचीन कला का बेहतर उदाहरण और समझ प्रदान करता है। इसके साथ ही आपको यहां पर प्राचीन हथियारों के जकीरे के साथ साथ बाबू वीर कुंवर सिंह के जीवन से जुड़ी घटनाओं को जानने और उनसे संबंधित सामग्रियों को देखने का मौका मिलेगा। इतिहास में अगर आप भी रुचि रखते हैं फिर यह स्थान आपके लिए काफी बेहतरीन रहने वाला है।

अपनी आखिरी लड़ाई में, जगदीसपुर के पास 23 अप्रैल 1858 को लड़ा, ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में सेना पूरी तरह से रुक गई थी। 22 और 23 अप्रैल को घायल होकर उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ बहादुरी से लड़ा और उनकी सेना की मदद से ब्रिटिश सेना को हटा दिया, संघ जैक को जगदीशपुर किले से नीचे लाया और अपना ध्वज फहराया। वह 23 अप्रैल 1858 को अपने महल में लौट आया और जल्द ही 26 अप्रैल 1858 को उसकी मृत्यु हो गई।

4. चमत्कारों का शहर सासाराम: ऐतिहासिक चमत्कारो का शहर / सासाराम या सह्साराम पर्यटको के लिए सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय स्थानो मे से एक माना जाता है। हम इसे ऐतिहासिक चमत्कारों का शहर इसलिए कहते हैं क्योंकि यह अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध है। भारत के बिहार के रोहतास जिले मे यह छोटा शहर है। ऐसा माना जाता है कि रोहतास गढ़ का नाम राजा हरीश चंद्र के पुत्र रोहिताश्व के नाम से पड़ा है। बावन तालाब अपनी उत्तर दिशा मे रोहतास किले से 1 किलोमीटर की दूरी पर पुरातन मंदिरो की उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है।

पुराने स्मारको वाला एक प्राचीन शहर सासाराम आपको अपने अतीत से आत्मीय भक्ति और वीरतापूर्ण शासको की आकर्षक कहानियो के साथ जोड़ता है। ताजा और प्राकृतिक वातावरण केवल इसके आकर्षण को बढ़ाते है। माना जाता है कि रामायण के समय से शहर संयुक्त रूप से राजा सह्सार्जुन और ऋषि परशुराम के नाम पर है। हालाँकि अफगान शासक शेरशाह सूरी के शासनकाल में इस शहर ने प्रसिद्धि प्राप्त की और मुग़ल साम्राज्य के अधीन अपना काम जारी रखा। शेरशाह सूरी का मकबरा शहर में प्रतिष्ठित ऐतिहासिक संरचनाओ में से एक है, जो इंडो – इस्लामिक स्थापत्य शैली के लिए जाना जाता है। 16 वीं शताब्दी मे निर्मित यह एक छोटी झील के बीच मे स्थित है।

हसन खान सूरी का मकबरा शहर का एक और वास्तुशिल्प चमत्कार है| राजा हरीश सूरी का मकबरा शहर का एक मकबरा शहर का एक और वास्तुशिल्प चमत्कार है| राजा हरिशचंद्रा द्वारा बनवाया गया रोहतासगढ़ किला इसकी शानदार प्राचीन संरचना को देखने के लिए जरुरी है| यह हिन्दुओ के साथ – साथ मुसलमानो के लिए भी धार्मिक महत्व का स्थान है|

गुप्तेश्वर मंदिर एक चूना पत्थर की गुफा के भीतर स्थित भगवान शिव का एक लोकप्रिय मंदिर है।

चौरासन मंदिर और माँ तारा चंडी मंदिर अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है|

मां ताराचंडी

चंदन शहीद का मकबरा, मुग़ल काल के दौरान निर्मित एक प्राचीन मस्जिद अपनी सौन्दर्य अपील के लिए जाना जाता है|

प्रकृति प्रेमी मंजर कुंड और धुला कुंड के सुन्दर झरनो का आनंद ले सकते है| इंद्रपुरी बांध और टूटराही झरने भी अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए जाने लायक है|

मैं आशा करता हूं कि आपको ये पर्यटन स्थल पसंद आए होंगे। पर बिहार के यह कुछ जिलों के चंद कुछ पर्यटन स्थल ही है। अभी कई पर्यटन स्थल अपनी कहानी कहने को आतुर हैं और इस आस में बैठे प्रतीक्षा कर रहे हैं कि कब कोई आए और उन्हें उनकी पहचान दिलाए। बड़ी प्रतीक्षा करने के बाद एक भोर होती है, पर अंधकार होते समय नहीं लगता। बाते तो बहुत सी करनी है आपसे पर समय के मारे हम भी है। मिलते हैं फिर अगले सप्ताह कुछ और बिहार के बेहतरीन पर्यटन स्थलों को साथ लेकर। जहां आपके लिए होंगी कुछ मजेदार और कुछ ज्ञान की भी बातें। तब तक के लिए महफूज रहिए, मुस्कुराते रहिए।