देश भर में आज जन्माष्टमी की धूम, जानिए कैसे करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा क्या है धार्मिक मान्यताएं…..

कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में अर्द्धरात्रि को मथुरा में हुआ था। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार हर साल पूरे देश में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रती रहकर पूरे नियम और संयम से भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।

क्या है कृष्ण जन्माष्टमी के पूजा की विधि…..
जन्माष्टमी के दिन स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें और व्रत रखें। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान कराएं और साफ रेशमी कपड़े पहनाएं। आज जन्माष्टमी का पूजा मुहूर्त 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस दौरान बाल गोपाल को झूला झुलाया जाएगा और उनकी आरती करें। श्रीकृष्ण जी को माखन और मिश्री का भोग लगाएं। आप चाहें तो खीर और पंजीरी का भी भोग लगा सकते हैं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा और आरती करें।

कृष्ण जन्माष्टमी कथा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कंस चंद्रवंशी यादव राजा था। उसकी एक बहन थी जिसका नाम देवकी था। कंस ने देवकी का विवाह वासुदेव से करवाया। कंस का जन्म चंद्रवंशी क्षत्रिय यादव राजा उग्रसेन और रानी पद्मावती के यहां हुआ था। कंस ने अपने पिता को अपदस्थ किया और मथुरा के राजा के रूप में खुद को स्थापित किया लेकिन उसे अपनी बहन देवकी से बहुत स्नेह था। देवकी की शादी के बाद यह आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। यह आकाशवाणी सुनकर कंस काफी डर गया और उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव की 7 संतानों को मार डाला। इसके बाद देवकी आठवीं बार मां बनने वाली थी। देवकी की आठवीं संतान के जन्म के वक्त आसमान में बिजली कड़कने लगी और कारागार के सभी ताले अपने आप टूट गए। मान्यता के मुताबिक,उस समय रात के 12 बजे थे और सभी सैनिक गहरी नींद मे थे। उसी समय भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने देवकी और वासुदेव को बताया कि वह देवकी की गोद से जन्म लेंगे। साथ ही उन्होंने देवकी और वासुदेव को यह भी बताया कि वह जन्म के बाद उनके अवतार को गोकुल में नंद बाबा के पास छोड़ आएं और उनके घर में जन्मी कन्या को कंस को सौंप दें। भगवान श्री कृष्ण के कहे अनुसार वासुदेव ने वैसा ही किया। नंद और यशोदा ने मिलकर श्री कृष्ण को पाला और बाद में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया।

देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर जन्मस्थान मथुरा पर सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त कर दी गई है। वही बात करें बिहार की राजधानी पटना कि तो सुबह से ही फूलों और फलों के दुकानों पर भक्तो को भीड़ उमड़ रही है। कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर जहां एक ओर भक्त उत्साह से भरे हुए नजर आ रहे हैं वहीं कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बाजारों में रौनक भी नजर आने लगी है।

कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर बच्चो में काफी खुशी देखने को मिलती है। इस दिन बच्चो को भगवान कृष्ण बनने का अवसर जो प्राप्त होता है। माथे पर मोर पंख लगा कृष्ण के जैसे वेश भूषा धारण करने के बाद इन प्यारे बच्चो को देख कर ऐसा लगता है मानो प्रभु खुद धरती पर बाल रूप धारण कर आ गए है। बच्चे मन के सच्चे होते हैं। यही कारण है कि बच्चो के रूप में बाल कृष्ण की सूरत हर किसी को भा जाति है।