
गांधी मैदान स्थित बांकीपुर बस स्टैंड से पटना सिटी रेलवे स्टेशन की दूरी 18 किमी है, लेकिन महज इतनी दूरी तय करने में पटना की नगर बस सेवा को एक घंटे का समय लग जाता है। ऐसा नहीं की केवल नगर सेवा के बसों की ऐसी स्थिति है। ऑटो रिक्शा से जाने में लगभग उतना ही समय लग जाता है। इसकी वजह सड़क पर हेवी ट्रैफिक लोड होना है। इसके कारण न तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्वाभाविक गति से चल पाती है और न ही प्राइवेट वाहन से ही लोग तेजी से आ जा पाते हैं। हर दिन इसके कारण लोगों को ट्रैफिक में फंस कर अपना समय बर्बाद करना पड़ रहा है।
बांकीपुर से दानापुर रेलवे स्टेशन की दूरी भी लगभग इतनी ही है लेकिन वहां तो इसे पहुंचने में एक घंटे 20 मिनट का समय लग जाता है। इसकी वजह बस के घुमावदार रूट का निर्धारण किया गया है जिसकी वजह से उसे दो किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। बस को आयकर गोलंबर से जीपीओ गोलंबर होते हुए स्टेशन गोलंबर जाना और वहां कुछ देर रुकने के बाद वापस जीपीओ और तारामंडल होकर फिर से बेली रोड में आना पड़ता है। फिर यह दानापुर जाती है।आट्रैफिक की धीमी रफ्तार की बड़ी वजह वाहनों की बेहद तेजी से बढ़ती संख्या है. हर वर्ष एक लाख से अधिक वाहन शहर की सड़कों पर आ रहे हैं. एक जनवरी 2012 से 31 दिसंबर 2021 के 10 वर्षों में 11.5 लाख वाहन पटना जिला परिवहन कार्यालय में पंजीकृत हुए और शहर की सड़कों पर दौड़ने लगे जबकि इस दौरान न तो नयी सड़कों का निर्माण हुआ है और न ही पुराने सड़कों की चौड़ाई में जरूरत के अनुरूप वृद्धि हुई है।
कुछ ऐसा ही हाल पटना जंक्शन गोलम्बर का भी है। जहाँ बसों और ऑटो रिक्शा के ठहराव जा कारण लोगो को काफी लम्बे वक़्त तक जाम में फंसे रहना पड़ता है। इस जाम से सिर्फ वाहन वाले ही नहीं पैदल चलने वाले भी परेशान नजर आते हैं।
ट्रैफिक की धीमी रफ्तार की बड़ी वजह वाहनों की बेहद तेजी से बढ़ती संख्या है । हर वर्ष एक लाख से अधिक वाहन शहर की सड़कों पर आ रहे हैं. एक जनवरी 2012 से 31 दिसंबर 2021 के 10 वर्षों में 11.5 लाख वाहन पटना जिला परिवहन कार्यालय में पंजीकृत हुए और शहर की सड़कों पर दौड़ने लगे जबकि इस दौरान न तो नयी सड़कों का निर्माण हुआ है और न ही पुराने सड़कों की चौड़ाई में जरूरत के अनुरूप वृद्धि हुई है।
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