किस दिन को मनाए मकर सक्रांति, क्या कहते है ग्रह-नक्षत्र।

मकर संक्रांति के सही तिथि को लेकर लोग उलझन में हैं। कोई कह रहा है कि इस बार मकर सक्रांति 14 जनवरी को है तो कहीं 15 जनवरी को मकर सक्रांति की बात की जा रही है। हालांकि संक्रांति तब शुरू होती है जब भगवान सूर्य राशि परिवर्तन कर मकर राशि में पहुंचते हैं। इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर गोचर कर रहें हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य अस्त से पहले यदि मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे, तो इसी दिन पुण्यकाल रहेगा। 16 घंटे पहले और 16 घंटे बाद का पुण्यकाल विशेष महत्व रखता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र ने बताया कि इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसमें स्नान, दान, जाप कर सकते हैं। वहीं स्थिर लग्न यानि समझें तो महापुण्य काल मुहूर्त 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक।

क्या करें मकर सक्रांति के दिन

इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य देव को जल अर्पित करना शुभ होगा। सूर्य देव के बीज मंत्र का जाप करें। श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें। नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें। भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं। भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें। संध्या काल में अन्न का सेवन न करे।

मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है। इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है। पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में यह समय नई फसल काटने का होता है। इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है।