
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 41वीं जीएसटी परिषद की बैठक हुई। इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है, जिसमें से सिर्फ 97,000 करोड़ रुपये की कमी जीएसटी के क्रियान्वयन की वजह से हुई और बाकी का नुकसान कोविड-19 की वजह से हुआ है। कमी को एकीकृत फंड से नहीं पूरा किया जा सकता।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जीएसटी संग्रह में कमी को भारत के एकीकृत फंड से नहीं पूरा किया जा सकता। पांडेय ने बताया कि अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि जुलाई 2017 से जून 2022 के ट्रांजिशन पीरियड के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाना है।
राज्यों को मुआवजा दिया जाना चाहिए
वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण जीएसटी संग्रह बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जीएसटी मुआवजा कानून के अनुसार, राज्यों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। केंद्रीय सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी मुआवजे के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक रुपये जारी किए हैं, जिसमें मार्च के लिए 13,806 करोड़ रुपये शामिल हैं। वित्त सचिव ने कहा कि 2019-20 के लिए जारी मुआवजे की कुल राशि 1.65 लाख करोड़ रुपये है, जबकि उपकर राशि 95,444 करोड़ रुपये थी।
घाटे को पूरा करना केंद्र की जिम्मेदारी
बैठक में कांग्रेस और गैर-एनडीए दलों के शासन वाले राज्य का इस बात पर जोर है कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की सांवधिक जिम्मेदारी है. वहीं, केंद्र सरकार ने कानूनी राय का हवाला देते हुए कहा कि अगर कर संग्रह में कमी होती है, तो उसकी ऐसी कोई बाध्यता नहीं है. सूत्रों के अनुसार, केंद्र के साथ-साथ भाजपा-जद (यू) शासित बिहार की राय है कि राज्यों को कर राजस्व में कमी कमी की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज लेना चाहिए. कांग्रेस और गैर-राजग दलों के शासन वाले राज्य ने इस बात पर जोर दिया कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की सर्वाधिक जिम्मेदारी है।
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