
पटना (विधि सं)। पटना हाई कोर्ट के फैसले से राज्य के डिग्री कॉलेजों के प्राचार्यो को एक बड़ी राहत की खबर है। शुक्रवार को कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह कहा है कि डिग्री कॉलेजों के प्राचार्य शिक्षक टीचिंग स्टाफ की श्रेणी में आते हैं न की शिक्षकेत्तर नन टीचिंग स्टाफ की श्रेणी में। सरकार ने डिग्री कॉलेज के अंगीभूत व संबद्धता प्राप्त उन प्राचार्यो को जो वर्ष 2017 में 62 वर्ष की उम्र पूरा किये थे उन्हें सेवानिवृत्त करा दिया, वह गैर कानूनी था। इन कॉलेजों के प्राचार्यों को 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त कराया जाना चाहिये था।
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न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की एकलपीठ ने उक्त आदेश को प्राचार्य डॉ बबन सिंह और लॉ कॉलेज, पटना के प्राचार्य राकेश वर्मा एवं अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर पारित किया है। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई पूरा कर अपना आदेश पहले ही सुरक्षित रख लिया था, जिस पर शुक्रवार को अपना फैसला दिया। राज्य के अंगीभूत कॉलेज के 30 प्राचार्य और संबद्धता प्राप्त कॉलेज के 150 प्राचार्य को 62 वर्ष की उम्र में ही सेवानिवृत्त करा दिया गया था।
दूसरी ओर, हाई कोर्ट का फैसला डिग्री कॉलेज के प्राचार्य के पक्ष में आने के बाद कॉमर्स कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ बबन सिंह ने कहा कि यह न्याय की जीत है। सरकार ने गैरकानूनी तरीके से राज्य के करीब दो सौ प्राचार्य को उनके पद से जबरजस्ती सेवानिवृत्त कर दिया था।
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