सोमवार से खुल जायेंगे बिहार के तमाम शैक्षणिक संस्थान, अर्थव्यवस्था सहित सामाजिक सौहार्द में होगी बढ़ोतरी।

कोरोना महामारी के प्रचंडता से हर कोई भयभीत हो गया था। कॉलेज, कोचिंग, स्कूल या समाज का गली, मोहल्ला या चौराहा हो कोरोना ने हर क्षेत्र में लोगो पर कुछ ना कुछ पाबंदियां जरूर लगवाई। कभी नाइट कर्फ्यू तो कही लॉकडाउन की मंजर ने लाखो जिंदगियों को आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक मुद्दों पर कमजोर किया है। पर इस महामारी से लोगो के जीवन को बचाने के सिवा शायद ही कोई दूसरा उपाय रहा हो। राज्य हो देश हो अथवा विश्व कोरोना ने हर सरकार को कड़े फैसले लेने के लिए मजबूर करके रख दिया। लोगो की समझदारी और कोरोना के नियमो का ईमानदारी से पालन के कारण देश और विश्व ने हर बार कोरोना जैसे बर्बर और शक्तिशाली दानव को पराजित किया है। Corona के मामले फिर घटने लगे है जो भारत की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक संस्थानों के लिए खुशी की बात है।

कोरोना के मामलो में आ रही कमी के मद्देनजर सरकार सोमवार से स्कूलों को खोलने पर विचार कर रही है। स्कूलों को दो चरणों में खोले जाने को लेकर जानकारियां मिल रही है। हालांकि कोरोना में कमी आने के बाद भी स्कूलों में कोरोना के प्रोटोकोल का सख्ती से अनुपालन किया जायेगा। इसका अंतिम निर्णय आपदा प्रबंधन समूह द्वारा लिया जाना है। आपदा प्रबंधन समूह की बैठक शनिवार को होने वाली है। माना जा रहा है कि स्कूल चरणबद्ध रूप में खोले जायेंगे। पहले ऊंची कक्षाओं में पढ़ाई शुरू होगी। उसके बाद नीचे की कक्षाएं खुलेंगी। यह भी माना जा रहा है कि प्रतिदिन पचास फीसदी बच्चे ही स्कूल आयेंगे।

नये साल यानी वर्ष, 2022 प्राइमरी स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों में कक्षाओं का संचालन बंद है। दरअसल, प्राइमरी स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक में नये साल (वर्ष 2022) में पढ़ाई शुरू ही नहीं हो पायी है। प्राइमरी स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक में गत 31 दिसंबर को इसलिए छुट्टी थी, क्योंकि उस दिन वर्ष 2021 विदा हो रहा था। उसके अगले दिन एक जनवरी को नये साल 2022 के स्वागत के लिए छुट्टी थी। दो जनवरी को रविवार था। सो, प्राइमरी स्कूलों से लेकर यूनिवर्सिटीज तक तीन जनवरी को खुलने वाले थे। लेकिन, कोरोना की तीसरी लहर से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर खुल नहीं पाये। कोरोना की तीसरी लहर से बचाव को लेकर राज्य सरकार ने राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया था।

आपको याद दिला दूं कि राज्य में तकरीबन 43 हजार प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें पहली से पांचवीं कक्षा की पढ़ाई होती है। 29 हजार मिडिल स्कूल हैं, जिनमें पहली से आठवीं कक्षा की पढ़ाई चलती है। पहली से आठवीं की पढ़ाई वाले 108 गैर सरकारी अनुदानित प्रारंभिक विद्यालय भी हैं। तकरीबन आठ हजार सेकेंडरी एवं प्लसटू स्कूल हैं, जिनमें क्रमश: 9वीं से 10वीं एवं 9वीं से 12वीं कक्षा की पढ़ाई होती है।

रिजल्ट अनुदानित 715 प्रस्वीकृत एवं स्थापना की अनुमति प्राप्त विद्यालय हैं, जिनमें 9वीं से 10वीं कक्षा की पढ़ाई चलती है। रिजल्ट अनुदानित तकरीबन 600 इंटरमीडिएट कॉलेज हैं, जिनमें 11वीं एवं 12वीं कक्षा की पढ़ाई चलती है। इसके साथ ही तकरीबन 20 हजार प्राइवेट स्कूल हैं।

साथ ही, हजारों कोचिंग इंस्टीच्यूट हैं। 12वीं कक्षा से ऊपर की बात करें, तो 13 पारंपरिक विश्वविद्यालयों के तहत तकरीबन 262 अंगीभूत एवं 227 संबद्ध डिग्री कॉलेज हैं, जिनमें स्नातक की पढ़ाई होती है। इनमें कई अंगीभूत कॉलेज ऐसे भी हैं, जिनमें स्नातकोत्तर की भी पढ़ाई होती है। इन 13 पारंपरिक विश्वविद्यालयों में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, पूर्णियां विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय एवं मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय हैं। चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एवं आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय हैं। मोतिहारी एवं बोध गया में केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं। राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय हैं। आईआईटी एवं एनआईटी हैं। प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं, सो अलग।

हालांकि राज्य में कई महीनो से रुकी पड़ी शिक्षा व्यवस्था के पुनः पटरी पर लौटने के संभावनाएं अब जागने लगी है। इसको लेकर आज क्राइसिस मैनेजमेंट के द्वारा अहम फैसला लिया जा सकता है। जिसमे सोमवार से स्कूल खोले जा सकते हैं