93000 सरकारी शिक्षकों की नौकरी पर खतरा, बिहार शिक्षा विभाग ने जारी की सूची

कोरोना वायरस ने अब इंसानो के साथ नॉकरियों को भी अपना निशाना शरू कर दिया है। इसकी आज से देश में नौकरी का घोर संकट आ गया है। अब बिहार में कोरोना संकट के बीच 93000 सरकारी शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराता दिख रहा है। शिक्षा विभाग ने कहा है अगर इन शिक्षकों ने 17 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट एनआईसी पोर्टल पर अपलोड नहीं किए तो इन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।

बुधवार को शिक्षा विभाग ने कहा कि अगर 17 जुलाई से पहले शिक्षकों ने पोर्टल पर अपने दस्तावेज अपलोड करना है। अगर कोई शिक्षक ऐसा करने में असफल रहता है तो उनकी नौकरी को फर्जी मानते हुए उन्हें हटा दिया जाएगा और इसके साथ ही अभी तक नौकरी के दौरान जितना वेतन पाया है उसकी भी रिकवरी की जाएगी।

ज़िलों के पोर्टल पर जारी हुई शिक्षकों की सूची

इस संबंध में शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ और डीपीओ को पत्र भेजकर सूचना दे दी है।

इसके साथ ही शिक्षा विभाग की तरफ से सभी जिलों के पोर्टल पर शिक्षकों की सूंची जारी कर दी गई है। सूंची में जिन शिक्षकों के नाम शामिल हैं उन्हें अपने सर्टिफिकेट्स पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है।

इन शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र जांच में नहीं मिले थे

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग की तरफ से 2006 से लेकर 2015 तक के दौरान नियुक्त किए गए शिक्षकों की जांच की गई थी. जांच में लगभग 1.03 लाख शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र नहीं मिले थे। इसके बाद हाल में फिर से इस संबंध में समीक्षा की गई तो पता चला कि अभी भी लगभग 93 हजार शिक्षक ऐसे है जिनके प्रमाण पत्र नहीं मिले। अब इन शिक्षकों को 17 जुलाई के पहले एनआईसी के वेब पोर्टल पर प्रमाण पत्र अपलोड करना अनिवार्य है।