गुलशन कुमार मर्डर केस: HC ने सुनाया फैसला, दाऊद इब्राहिम के सहयोगी अब्दुल रऊफ उर्फ दाऊद मर्चेंट दोषी करार

गुलशन कुमार केस पर आज बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। गुलशन कुमार मर्डर केस में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगी अब्दुल रऊफ मर्चेंट को बड़ा झटका लगा है। मालूम हो कि गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्‍बे हाईकोर्ट की जस्टिस जाधव और बोरकर की बेंच ने अपना फैसला सुनाया और अब्दुल रऊफ मर्चेंट की उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है। वहीं, कोर्ट ने रमेश तौरानी की बरी के फैसले को बरकरार रखते हुए तौरानी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील खारिज कर दी। बता दें कि टी-सीरीज कंपनी के संस्‍थापक गुलशन कुमार की 19 अगस्‍त, 1997 को जूहू इलाके में हत्‍या कर दी गई थी।

बता दें कि अब्दुल रऊफ को साल 2002 में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। वहीं 2009 में बीमार मां से मिलने के लिए उसे पैरोल मिली थी। जिसके बाद वह बांगलादेश भाग गया। हालांकि, बाद में वहां की पुलिस ने उसे फर्जी पासपोर्ट मामले में अरेस्ट कर लिया था जिसके बाद उसे गाजीपुर के काशिमपुर जेल में रखा गया। ऐसे में अब हाई कोर्ट ने अब्दुल रऊफ किसी तरह की उदारता का हकदार नहीं है क्योंकि वह पहले भी पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था।

वहीं बता दें कि साल 1997 में 12 अगस्त को मुंबई के जूहू इलाके में गुलशन कुमार की सरेआम हत्‍या (Gulshan Kumar Murder) कर दी गई थी। घटना वाले दिन गुलशन कुमार हर रोज की तरह सुबह 8 बजे पश्चिमी मुंबई केअंधेरी इलाके में जीतनगर स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने पहुंचे थे। वहीं जैसे हीं वह पूजा कर मंदिर से बाहर आ रहे थे, तभी अचानक गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। गुलशन कुमार के सीने में 16 गोलियां मारी गईं और मौके पर उनकी हत्या हो गई। वहीं हत्यारे बाइक पर सवार होकर आए थे।

अबू सलेम पर नहीं चला हत्या का केस

अबू सलेम ने गुलशन कुमार को दस करोड़ रुपए की फिरौती यानी प्रोटेक्शन मनी और नदीम को काम देने की धमकी दी. गुलशन कुमार ने घबराकर ये बात अपने छोटे भाई किरण कुमार को बताई थी. बताया जाता है कि उससे थोड़े दिन पहले ही गुलशन कुमार ने कथित तौर पर एक किश्त दाऊद गैंग को दी थी. वो फिर से अब उसे पैसा नहीं देना चाहते थे. इसलिए उन्होंने इस धमकी पर चुप लगा जाना ही बेहतर समझा.

जब अबू सलेम को ये पैसा तय वक्त पर नहीं मिला तो उसने तय कर लिया कि गुलशन कुमार की हत्या करनी पड़ेगी. तीन शूटर इसके लिए रखे गए और उन्होंने जुहू के एक मंदिर के बाहर एक 12 अगस्त 1997 की सुबह गोली चला दी. गुलशन उस वक्त वहां से पूजा करके निकल रहे थे. गुलशन के सिर में गोली लगी उन्होंने बचने की कोशिश की तो बाकी दो शूटर्स ने उन पर 16 गोलियां दाग दीं. उनके ड्राइवर ने उन्हें बचाने की कोशिश की तो शूटर्स ने उसे भी गोली मार दी. जिसके बाद गुलशन कुमार को अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो चुकी थी.