अगर इन बिंदुओं पर सरकार अमल करे तो मजदूरों को मिलेगी असल राहत-तेजस्वी यादव

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गयी 22 विपक्षी दलों की बैठक में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कई अहम मुद्दा उठाया।

गैर आयकर वर्ग को मिले 7500-8000 रूपये

बैठक में अपना विचार रखते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित राशि या योजनाओं में ग़रीबों को तात्कालिक राहत की कोई व्यवस्था नहीं है। हम और तमाम विपक्ष के राजनीतिक दल मिलकर सरकार पर ये दवाब बनायें कि गैर-आयकर वर्ग के सभी परिवारों को आगामी छह महीने तक 7500-8000 की दर से सीधे कैश ट्रान्सफर किया जाए। इससे आपदा की मार से लड़ने में इन परिवारों को थोड़ी वास्तविक राहत का अहसास हो।

  1. अगर सरकार चंद पूँजीपतियों के 68000 करोड़ माफ़ कर सकती है तो जाने-माने अर्थशास्त्री आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने जैसा बताया कि 65000 करोड़ में करोड़ों ग़रीबों की मदद कर सकते है।

  2. राशनकार्ड हो या ना हो तमाम गरीब परिवारों को 25 किलो चावल/आटा..दाल आने वाले छह महीनों तक मुफ्त मुहैय्या कराया जाए।इससे भोजन के संकट को ख़त्म करने में सहायता होगी।

  3. प्रवासी मजदूरों के घर तक पहुचाने की व्यवस्था अब तक लचर रही है. हम सरकार से ये साझा आग्रह करें कि देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को नीयत समय में उनके घरों तक पहुँचाया जाए. बिहार के प्रवासी मजदूरों की खास तौर पर भयावह स्थिति है। प्रवासी मज़दूरों के दयनीय हालात के लिए एनडीए ज़िम्मेवार है। ग़रीब विरोधी भाजपा सरकार द्वारा प्रवासी मज़दूरों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा गया।

  4. बिहारी मज़दूरों के साथ दुर्व्यवहार हुआ। जहां उन्हें रोटी मिलनी चाहिए थी वहाँ उन्हें लाठी मिली। अगर बिहारी श्रमवीर बिहार से बाहर नहीं निकलेंगे तो देश की अर्थव्यवस्था ठप्प हो जाएगी। हमें बिहार में इंडस्ट्री-उद्योग धंधे लगाने होंगे। यह हमारा प्रमुख अजेंडा होगा।

  5. नोटबंदी की तरह कोरोना काल में भी इस सरकार के सभी निर्णय ग़लत हुए है। बिहार को कुछ नहीं मिला। न्च्।-1 में लालू जी के सहयोग से कोसी बाढ़ में बिहार के 4-5 ज़िलों को ही 1100 करोड़ मिला था। अभी विगत 4-5 वर्ष से बाढ़ आ रहा है लेकिन बिहार को बमुश्किल 200 करोड़ ही मिला है। केवल घोषणा होती है मिलता कुछ नहीं।

यूपीए सरकार में बाढ़ के दौरान लालू जी ने नागरिकों के लिए मुफ़्त रेल चलाई थी। लेकिन महामारी में अब किराया वसूला जा रहा है।

  1. यूपीए की मनरेगा और भोजन के अधिकार जैसी योजनाओं को हमें आक्रामक तरीक़े से प्रचारित करना होगा। विपक्ष को सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों रोज़गार सृजन की पुरज़ोर माँग करनी होगी।

  2. इसी महामारी के बीच श्रम कानूनों में बदलाव की कोशिशे भी की जा रही हैं. मैं अपने दल की और से आप सबसे अपील करता हूँ कि हम सबको मिलकर इसका हर स्तर पर विरोध करना चाहिए. श्रम कानूनों में बदलाव श्रमिकों की सुरक्षा, उनकी गरिमा और उनके अधिकारों पर हमला है. बिना संसद में चर्चा के इस तरह का कोई भी बदलाव संविधान के मर्म के साथ छेड़छाड़ है और हमें इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए.