चुनाव लड़ना लक्ष्य नहीं… किसी का एजेंट नहीं हूं…बिहार को चाहिए सशक्त राजनीतिक नेतृत्व और 20 मार्च से करेंगे ‘बात बिहार की’-PK

राजधानी पटना में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सबसे पहले जेडीयू से निकाले जाने का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हमेशा मुझे पुत्र की तरह पार्टी में रखा। जब वे जेडीयू में शामिल हुए तब भी इस फैसले का स्वागत था और जब वे बाहर हो गये तब भी नीतीश कुमार के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का वे सम्मान करते हैं, और वे उनके पिता तुल्य हैं।

नीतीश जी ने हमारे बारे में जो कहा उसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। जो नीतीश जी ने कहा उसी को सच मान लीजिए। मैं जो करूंगा वो नीतीश कुमार के कहने से तय नहीं होगा, बल्कि अपने कर्मों से होगा। आप मान लीजिए कि मैं अमित शाह के कहने पर जेडीयू में शामिल हुए। 70 साल की उम्र में नीतीश कुमार झूठ का सहारा ले रहे हैं तो लेने दीजिए।

नीतीश कुमार पर साधा निशाना

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की तारीफ के साथ हीं उनपर जमकर हमला भी बोला। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर बिहार में पिछले 15 सालों के दौरान विकास हुआ है। उन्होंने विकास के तौर पर स्कूल, सड़क, पुल और बिजली जैसे कार्यों को गिनाया, लेकिन आज भी बिहार की स्थिति 2005 जैसी हीं है। जितना विकास बिहार का होना चाहिए, उतना नहीं हो पाया है। पीके ने सीधे तौर पर कहा कि लालू राज की आड़ में वे कब तक कुर्सी बचाये रहेंगे। उन्हें बिहार की जनता के हितों को देखते हुए बिहार को और आगे बढ़ाना चाहिए। साथ हीं उन्हें सड़क, पुल और बिजली के अलावा यह भी बताना चाहिए कि आज बिहार हरियाणा और कर्नाटक की तुलना में कहां खड़ा है।

गांधी और गोड्से एक साथ नहीं

एनआरसी और सीएए पर अपना स्टैंड को लेकर जेडीयू से बाहर निकाले जाने को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश जी उनके लिए सम्मानीय हैं। उनका फैसला स्वीकार है। लेकिन हमलावर होते हुए पीके बोले कि गांधी और गोड्से की विचाराधारा एक साथ नहीं चल सकती।

20 मार्च से ‘बात बिहार की’

राजनीतिक स्टैंड पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वे किसी दल के लिए काम नहीं कर रहे हैं। वो इस बात के लिए संघर्षरत हैं कि बिहार की स्थिति कैसे सुधारी जाये। इसके लिए उनकी टीम लगातार काम कर रही है। और इस कड़ी में वे 20 मार्च से एक ‘बात बिहार की’ नामक कार्यक्रम की शुरूआत कर रहे हैं। जिसमें राज्य को सशक्त बनाने की बात की जाएगी। गांव-गांव तक जाकर इस कार्यक्रम में युवाओं और लोगों को इससे जोड़ा जाएगा।

बिहार को सशक्त राजनीतिक नेतृत्व की जरूरत

जेडीयू या आरजेडी या कोई और राजनीतिक संगठन… आज सबसे अधिक जरूरी है कि बिहार को सशक्त राजनीतिक नेतृत्व मिले। युवाओं का ट्वीटर का इस्तेमाल करने पर उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिनके खुद लाखों में फॉलोवर है.. वो चाहते हैं कि बिहार पोस्टल कार्ड का राज्य बना रहे। वो चाहते हैं कि बिहार का हर युवा फेसबुक और ट्वीटर पर एक्टिव रहे, क्योंकि टेक्नोलॉजी समझना गलत नहीं है। अब जरूरत है कि बिहार उन टॉप 10 राज्यों की श्रेणी में कैसे आये।

चुनाव लड़ना लक्ष्य नहीं

बिहार में चुनावी कमान संभालने वाले कयासबाजी को लेकर उन्होंने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि वे किसी दल के नहीं है। उनका लक्ष्य है कि बिहार को कैसे समृद्ध बनाया जाए। जरूरत है बिहार को कर्नाटक, हरियाणा जैसे राज्यों की श्रेणी में खड़ा करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को आठ से दस गुणा बढ़ाने की। अगर इसके लिए नीतीश जी भी साथ आते हैं तो उनका स्वागत है।