कभी स्याही और शब्द की जिज्ञासाओं को टटोलती तो कभी नए वर्ष की जश्न मनाती, कभी हंसी और खुबसूरती की तलाश तो कभी रोजी रोटी और मकान की चिंता। नए वर्ष से लेकर बचपन और मौत तक के कटु सत्य को बड़ी बारीकी से कविता के रूप में पिरों कर प्रस्तुत किया है आशुतोष ने। पटना के युवा साहित्यकार आशुतोष का किताब द्वंद छपकर आ रही है. प्रखर गुंज प्रकाशन से प्रकाशित यह कविता संग्रह अमेजन के प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है। युवाओं में खासकर यह पसंद की जा रही है।
काव्य संग्रह में 67 कविताएं शामिल
आशुतोष वैसे कवि है जो भावनाओं के लिए भूमिका नहीं बनाते सीधे सच्चे लहजों में अपनी बात रखते हैं। इस कविता संग्रह में वेवफाई के मंजर, नववर्ष, जन्मदिन विशेष, हंसी, खूबसूरती, गीत, स्याही और शब्द जैसे 67 कविताएं शामिल हैं। इन सभी कविताओं को अपना राग और रंग है। ये कविताएं जीवन से संवाद भी करती हैं तो जीवन के साथ चलने का मादा भी भरती है। कुल मिलाकर ये पठनीये काव्य संग्रह है। लेखक को इसके लिए तमाम शुभकामनाएं। ‘द्वंद’ पढ़ी सुनी और समझी जानी चाहिए
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