शिक्षक दिवस हम सभी के जीवन में बहुत हीं महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 5 सितंबर का दिन एक ऐसा दिन होता है जब हम अपने गुरुओं (शिक्षकों) के द्वारा किए गए मार्गदर्शन और ज्ञान के बदले हम उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं। हम सभी आज जो भी अपने शिक्षकों के प्रयासों और नेक मार्गदर्शन के कारण ही हैं। भारतीय जीवन-दर्शन में गुरुओं को ईश्वर से भी बढ़कर बताया गया है। इस मौके पर लोग अपने शिक्षकों को फोन करते हैं, उनसे मिलने जाते हैं या सोशल मीडिया पर उनकी यादगार तस्वीर साझा करते हैं। यह सब अपने गुरु के प्रति आदर-सम्मान दर्शाना होता है।
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागै पाएं ।
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दिओ बताए।।
हम क्यों मनाते हैं शिक्षक दिवस ?
शिक्षक दिवस की शुरुआत और इसके इतिहास के बारे में बात करें तो द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था। उन्हीं के सम्मान में इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन देश के द्वितीय राष्ट्रपति थे और उन्हें भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद्, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक के तौर पर याद किया जाता है। पूरे देश को अपनी विद्वता से अभिभूत करने वाले डा. राधाकृष्णन को भारत सरकार ने सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था।
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