राज्य आयुक्त नि:शक्तता (दिव्यांगजन) कार्यालय, बिहार सरकार, पटना द्वारा ‘विश्व हीमोफीलिया रोग जागरूकता दिवस’ के अवसर पर आज दिनांक 17 अप्रैल 2021 (शनिवार) को अपराहण् 3 बजे से अपराहण् 4 बजे तक गूगल मीट प्लेटफॉर्म माध्यम से ऑनलाइन जागरूकता वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार के अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार (राज्य आयुक्त नि:शक्तता, बिहार सरकार) एवं विशिष्ट अतिथि डॉ० अविनाश सिंह (रक्त जनित रोग विशेषज्ञ, पारस हॉस्पिटल) ऑनलाइन उपस्थित थे। साथ ही डॉ० अश्विनी कुमार, संदीप कुमार (खेल निदेशक, बिहार पैरा स्पोर्ट एसोसिएशन), श्री सुगन्ध नारायण प्रसाद (सचिव, बिहार एसोसिएशन ऑफ दिव्यांगजन), संतोष कुमार सिन्हा (सी.ई.ओ., समर्पण), प्रियंका मिश्रा (सचिव थैलेसिमिया पैरेन्टस एसोसिएशन), चुनचुन कुमार (हीमोफीलिया पिडि़त), सहबाज अहमद, अभिषेक कुमार, मिक्कुझा, साधना कुमारी, रूबी सिंह, फिरदौस अख्तर, हीमोफीलिया एवं रक्त जनित रोग से ग्रसित लोग एवं सैंकड़ो उनके अभिभावकगण, दिव्यांगजन, पुनर्वास विशेषज्ञ, सिविल सोसाईटी, मेडिकल स्टाफ, पारामेडिकल स्टाफ, सभी गांव, पंचायत, प्रखण्ड, सवडिविजन, जिला, प्रमण्डल एवं राज्य स्तर पर गठित डी.पी.ओ. (दिव्यांगजन) ने ऑनलाइन भाग लिया।
हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बिमारी
मुख्य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बिमारी है। उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया एक आनुवांशिक विकार है जो पिढ़ी दर पिढ़ी चलती रहती है। आमतौर पर यह बिमारी पुरूषों में होती है और आनवांशिकता के आधार पर महिलाओं के द्वारा पुरूषों में स्थानान्तरीत होता है । हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बिमारी है यदि कहीं कट जाये या चोट लग जाये जो रक्त का बहना रूकता नहीं है जल्द बन्द नहीं होता है इसलिए जानलेवा होता है। हीमोफीलिया मुख्यत: दो प्रकारके होत हैं हीमोफीलिया-ए इसमें क्लोटींग फैक्टर 8 की कमी होती है एवं हीमोफीलिया बी – इसका क्रिसमस रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग में मरीज में क्लोटिंग फैक्टर 9 की कमी होती है। आर.पी.डब्ल्यू.डी. एक्ट-2016 (दिवयांगजन अधिकार अधिनियम 2016) में तीन रक्त संबंधित थैलेसिमिया, सिकल-सेल रोग एवं हीमोफीलिया/अधिरक्तस्राव रोगों को दिव्यांगता के श्रेणी में रखा गया है।
हीमोफिलिया ज्यादातर पुरूषों में होती है
डॉ० अविनाश सिंह (रक्त जनित रोग विशेषज्ञ, पारस हॉस्पिटल) ने बताया कि हीमाेफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है। उन्होंने बताया कि हीमोफिलिया ज्यादातर पुरूषों में होती है महिला उसका कैरियर होता है। हीमोफीलिया के तीन स्टेज होते हैं माइल्ड, मोडेरेट एवं सिवियर होती है। हीमोफीलिया से ग्रसित लोगों में चोट लगने कट जाने पर रक्तस्राव रूकता नहीं है। इसलिए यह जानलेवा होती है । फैक्टर 8 के कमी से हीमोफीलिया-ए एवं फैक्टर 9 के कमी से हीमोफीलिया बी होती है एवं हीमोफीलिया एवं रक्त जनित रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दिये। उन्होंने लोगों द्वारा पुछे गये सवालों का जवाब भी दिये।
इस ऑनलाइन वेबिनार को लोगों ने काफी सराहा एवं ज्ञानवर्धक बताया तथा लोगों द्वारा हीमोफीलिया एवं रक्त संबंधित बिमारियों के बारे में सवाल किया गया जिसका जबाव विशेषज्ञों द्वारा दिया गया।
हीमोफिलिया पैरेन्ट्स एसोसिएशन बनाने का निर्णय
आज विश्व हीमोफीलिया जागरूकता दिवस पर हीमोफिलिया पैरेन्ट्स एसोसिएशन बनाने का निर्णय लिया गया साथ सभी सरकारी अस्पतालों में हीमोफीलिया रोग के इलाज के लिए सरकार से मांग करने का निर्णय लिया गया। साथ ही स्पाइना बिफिडा रोग के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया गया।
ऑनलाइन वेबिनार का संचालन संदीप कुमार के द्वारा एवं धन्यवाद ज्ञापन राज्य आयुक्त नि:शक्तता के कायार्लय द्वारा किया गया।
You must be logged in to post a comment.