
बिहार में नीतीश कुमार के द्वारा लागू किए गए शरबबंदी की सफलता की चर्चा प्रदेश में बार बार किया जाता हो। लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ही जब शराबबंदी को असफल बता रहे है। नीतीश कुमार के शराबबंदी पर प्रश्न उठाने के लिए बस इतना काफी है।
उपेंद्र कुशवाहा ने तो राज्य में शराबबंदी के फेल होने के पीछे जनता को ही जिम्मेदार बता डाला। उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकार के चाहने से शराबबंदी नहीं होगी। जब तक जनता नहीं चाहेगी शराबबंदी सफल नहीं हो सकती। अगर मैं शराबबंदी सफल होने का दावा करूं तो यह गलत होगा।
दरअसल उपेंद्र कुशवाहा वैशाली जिले के महुआ के सिंघाड़ा गांव में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां पत्रकारों ने उनसे शराबबंदी की सफलता को लेकर सवाल किया, जिसका बड़ी सहजता से जबाव देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी पूर्ण रूप से सफल नहीं है। हालांकि राज्य की जनता चाहें तो इसे सफल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शरबबंदी लोगों के फायदे ले लिए ही है और अब लोगों की भागीदारी से ही इसे सफल किया जा सकता है।
बहरहाल राज्य में शराबबंदी पर अपने ही पार्टी के नेता के बयानों के कारण विपक्ष को भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमले का मौका मिल गया है।
शराबबंदी को लेकर प्रश्न उठने का कारण उपेंद्र कुशवाहा से पहले महागठबंधन के ‘हम’ पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी का बयान है। जीतन राम मांझी ने अपने बयान में कहा था कि बिहार में शराबबंदी की समीक्षा होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शराब पीने के आरोप में गरीब लोग पकड़े जा रहे हैं और शराब के बड़े तस्कर आराम से बच जा रहे हैं। लिहाजा ढाई सौ ग्राम पीने वालों को नहीं पकड़ना चाहिए।
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