प्रधानमंत्री ने आज मंगलवार को वाराणसी सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया। पीएम तीसरी बार लोकसभा चुनाव के लिए मैदान मे उतरे हैं। लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट मे 6 साल के लिए रोक लगाने को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अर्जी में दावा किया गया कि पीएम मोदी अपने चुनावी जनसभाओं में धर्म, भगवान और मंदिर के नाम पर वोट मांग रहे हैं। वे लगातार इसी तरह के मुद्दों पर वोट मांग रहे हैं। ऐसा करने के लिए उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
याचिका में पीएम मोदी के खिलाफ नफरती भाषण देने और चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप लगाए थे। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एस सी शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता को संबंधित प्राधिकरण के सामने अपनी शिकायत करने का निर्देश दिया। याचिका फातिमा नाम की महिला ने वकील आनंद एस जोंधाले के द्वारा याचिका दायर की थी। याचिका में जनप्रतिनिधि कानून के तहत पीएम मोदी के चुनाव लड़ने पर छह साल का प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में चुनाव प्रचार के दौरान नफरती भाषणों को रोकने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने वाली एक अन्य याचिका भी दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर ऐसी मांग की गई थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि वह चुनाव आयोग के कामकाज की देखरेख नहीं कर सकते। चुनाव आयोग भी एक संवैधानिक संस्था है और ये नहीं मान सकते कि वह इस मामले में कुछ नहीं कर रही है
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