कोविड आर्थिक आपातकाल से सीधा मुक़ाबला

आलेख

राजीव कुमार, उपाध्यक्ष, निति आयोग

आर्थिक जगत पर कोविड 19 के विनाशकारी प्रभावों को देखते हुए केंद्र सरकार का जो प्रोत्साहन पैकेज है उसे 2 मंत्रों के माध्यम से बताया गया है।सबसे पहले किसी भी तरह की जनहानि नहीं हो, खासतौर पर जो वंचित हैं और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं उनकी जनहानि नहीं हो। इसके साथ ही इस पूरे संकट की घड़ी को एक साहसिक सुधार तंत्र के माध्यम से अवसर में बदला जाए। ढांचागत सुधारों के माध्यम से आर्थिक जगत में उत्पादन क्षमता और आपूर्ति की क्षमता को बढ़ाया जाए। पिछले 5 दिनों में माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज सावधानीपूर्वक तैयार किया गया संतुलित और साहसिक पैकेज है।

                 आने वाले दिनों में यह अपने दोनों ही उद्देश्यों को पूरा करेगा। ऐसा व्यापक रूप से माना गया है कि 90 के दशक में एशियन फाइनैंशल क्राइसिस हो या वर्ष 2008 -2009 का वैश्विक आर्थिक संकट जिसमें आर्थिक जगत में मांग और आपूर्ति पक्ष पर बुरी तरह से प्रभाव डाला था। आपूर्ति पक्ष पर सरकार की प्रतिक्रिया चार बिंदुओं पर आधारित होगी। सबसे पहले खाद्य सुरक्षा और किसानों की आमदनी का किसी प्रकार का नुकसान न हो इसे सुनिश्चित किया जाएगा।लॉक डाउन की घोषणा के साथ ही सरकार ने कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों को आवश्यक सेवाओं के रूप में तत्काल शामिल कर दिया था। इससे रबी की फसल की कटाई और उसकी खरीद सफलतापूर्वक की जा सकी। इसके साथ ही किसानों के हाथ में करीब 78000 करोड रुपए की नई खरीद क्षमता रही।

                इसके अलावा दूसरी चुनौती थी दिवालियापन और तरलता की कमी। इससे असरकारी तरीके से निपटने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की तरलता सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही लघु सूक्ष्म एवं मध्यम इकाइयों के उद्योग जगत के लिए अतिरिक्त ऋण क्षमता जो कि 3 ट्रिलियन थी वह बिना किसी अनु प्रासंगिक शर्त के बढ़ाई गई। इसके अतिरिक्त हॉस्पिटैलिटी मनोरंजन और रिटेल क्षेत्र में भी सेवाओं को बढ़ावा देने और गति देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। ऊर्जा उत्पादन के लिए स्टेट डिस्कॉम को 90000 करोड रुपए का कर्ज पैकेज उपलब्ध करवाया गया है जिससे राज्यों की बिजली इकाइयां बिजली उत्पादन इकाइयां दिवालिया होने से बच सकें और उनके दिवालियेपन को रोका जा सके जिनके की विनाशकारी परिणाम हो सकते थे।

                तीसरा उपाय किया गया है उससे निजी उत्पादकों को कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में विशेष रुप से सुधार होगा। किसानों द्वारा अपने क्लाइंट और व्यापारियों को चुनने की एक लंबी लंबी प्रक्रिया थी उसे भी उन्हें आजादी दी गई है। वह अपने उत्पाद का आवश्यक भंडारण कर सकते हैं। इसके अलावा रक्षा संबंधी उत्पादन और निर्यात को भी उदारीकरण के उपायों द्वारा नया प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा निजी व्यापार करने वालों को भी नई गति मिलेगी और जिन पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज का जिन क्षेत्रों में एकाधिकार था वह भी समाप्त होगा मुख्य रूप से इन उपायों को करने से करीब 5000000 परिवारों की आजीविका को सहायता मिलेगी जिनमें बहुत से स्ट्रीट वेंडर्स पूरी देश के शामिल हैं जिन्हें प्रत्येक को ₹10000 की सहायता उपलब्ध करवाई गई है। कर्ज के रूप में इस तरीके से यह प्रोत्साहन पैकेज उत्पादन क्षमता को उत्तरजीविता देने के लिए उस को बढ़ावा देने के साथ ही निजी क्षेत्र के जो भागीदारी है उसको भी बढ़ावा देता है।

 

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