महामारी का वरदान बना कोरोना टीकाकरण अभियान, दुनिया में सर्वाधिक कोरोना टीकाकरण करनेवाला तीसरा देश बना भारत

भारत दुनिया में सर्वाधिक कोरोना टीकाकरण करनेवाला तीसरा देश बन गया है. भारत अमेरिका और यूनाइडेट किंगडम के बाद तीसरा देश बन गया है, जहां 70 लाख से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है. इस आंकड़े में हर रोज वृद्धि हो रही है. इधर बिहार भी कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में रजिस्टर्ड केस की तुलना में सर्वाधिक टीकाकरण करने के मामले में दूसरे सप्ताह भी रिकार्ड अपने नाम कर लिया है. भारत ने कोविड-19 के खिलाफ सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत 16 जनवरी’2021 से की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम का आगाज वीडियो कांफ्रेंसिंग के साथ की. शुरुआत से ही ये टीकाकरण अभियान रोज नये रिकार्ड बना रहा है. पहले ही दिन देश में कुल 1,91,181 लोगों को टीका दिया गया. इसमें सेना के कुल 3,129 जवान शामिल थे.

बिहार कोवैक्सीन टीकाकरण वाला राज्य

भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान में दो प्रकार के टीकों का प्रयोग किया जा रहा है. पहली वैक्सीन कोविशील्ड है जबकि दूसरी वैक्सीन का नाम कोवैक्सीन है. कोविशील्ड टीका देश के सभी राज्यों में दिया जा रहा है जबकि कोवैक्सीन का टीका देश के 12 राज्यों में दिया जा रहा है. बिहार कोवैक्सीन टीकाकरण वाला राज्य है.

बिहार में कोरोना का पहला केस 22 मार्च 2020 को मिला

कोविड-19 की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई जहां पर 31 दिसंबर 2019 को पहले केस की जानकारी स्थानीय समाचार पत्रों में छपी थी. देखते -देखते इस वायरस ने पुरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया. स्थिति यह रही कि कोविड-19 की गिरफ्त से विश्व का कोई भी देश नहीं बच सका. उत्तरी गोलार्द्ध से लेकर दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों और छोटे-छोटे द्वीप समूहों वाले देश भी इसकी चपेट में आ गये. इसका कारण रहा कि दुनिया ग्लोबल हो चुकी है. ऐसे में कारोबार और पर्यटन का क्षेत्र भी ग्लोबल हो चुका है. ऐसे में जब वुहान में वायरस आउटब्रेक हुआ तो यह पूरी दुनिया में ट्रैवल कर पहुंच गया. भारत में पहला केस 30 जनवरी’2020 को दक्षिण भारत के केरल में पता चला था. इधर बिहार में कोविड-19 का पहला केस 22 मार्च 2020 को मालूम हुआ.

वैक्सीनेशन के पहले भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी. रेल व हवाई यातायात से लेकर सभी तरह के परिवहन पर रोक लगा दी गयी. सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान, विश्वविद्यालय के साथ मॉल, रेस्त्रां को बंद कर दिया गया. सरकारी और निजी कंपनियों के दफ्तरों में ताला लग गया और कर्मियों को ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर दिया गया. सरकार ने सिर्फ किराना और सब्जी मार्केट को निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार खोलने की इजाजत दी. इसका सबसे बड़ा लाभ मिला कि वैक्सीन आने के पहले कोविड-19 के चक्र को तोड़ने में मदद मिली. लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ लोगों को क्वारेंटिन कर इलाज आरंभ किया गया बल्कि उनकी निरंतर मॉनिटरिंग और होम आइसोलेशन में रहनेवाले पॉजिटिव मरीजों के लिए नियमित काउंसेलिंग की व्यवस्था की गयी. इससे लोगों का भरोसा जगने लगा और अस्पतालों में बढ़नेवाली भीड़ पर नियंत्रण हो सका. इस दौरान कोविड-19 को लेकर सरकार द्वारा निरंतर फीडबैक लेकर उसके अनुसार कदम उठाये जाते रहे हैं.

चिकित्सकों ने वैक्सीन लेकर भ्रम को तोड़ने की पहल की

कोविड-19 के नियंत्रण को लेकर जहां एक तरफ रोकथाम की गतिविधियां जारी थी तो दूसरी ओर देश के वैज्ञानिक वैक्सीन के शोध में जुट गये थे. अंत में देश में दो प्रकार के वैक्सीनों का सफल ट्रायल हुआ और भारत सरकार ने इसके प्रयोग की अनुमति दे दी. वैक्सीनेशन के पहले लोगों में किसी तरह की अफवाह को काटने के लिए भी बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया. इस अभियान में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन के साथ विशेषज्ञों द्वारा लोगों से अपील जारी की जाती रही. कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों में किसी प्रकार भ्रम नहीं हो इसको लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है. खुद देश के चोटी के चिकित्सकों ने वैक्सीन लेकर इस भ्रम को तोड़ने की पहल की. भारत सरकार द्वारा भी जो गाइड लाइन तैयार किया गया, वह बड़ी ही सावधानी से किया गया. भारत सरकार ने वैक्सीन को लेकर फैलनेवाले भ्रम को तोड़ने के लिए सबसे पहले हेल्थ वर्करों को टीका देने का फैसला किया. यह इसलिए कि समाज के दूसरे लोगों को पहले टीका दिया जायेगा तो यह भ्रम फैल जायेगा कि टीका सही है तो पहले डॉक्टर और नर्सों को क्यों नहीं दिया जा रहा है. यह रणनीति सफल रही और पहले फेज में सिर्फ हेल्थ वर्करों को ही टीका दिया गया. इसके बाद देश में फ्रंट लाइन वर्करों का चुनाव किया गया. इसमें सेना के जवान, पुलिस के जवान, नगरपालिका के कर्मचारी सहित अन्य लोगों को रखा गया. लाभार्थियों और टीके लगाने वालों के साथ संवाद किया. टीका लगने के बाद लोगों को यह बताया गया कि टीका लगने के बाद ऐसे लक्षण होना आम बात है जैसे मामूली दर्द , चक्कर आना, पसीना, भारीपन, लाल चकते आना और सूजन होना. इसको लेकर नारा भी दिया गया कि हल्का बुखार डरिए मत, टीका लगवाइए, कोरोना को मात दीजिये.

भारत में 26 दिन में लगा 70 लाख लोगों को टीका

देश में अब कोरोना वैक्सीनेशन के सुखद परिणाम भी दिखने लगे हैं. भारत रोज वैक्सीनेशन की नयी कहानी गढ़ने लगा है. भारत को 70 लाख लोगों को कोरोना टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में सिर्फ 26 दिन लगा. दुनिया के अन्य देशों को 70 लाख लोगों को टीकाकरण करने में इससे अधिक समय लगाना पड़ा. मसलन अमेरिका अपने 70 लाख नागरिकों को 27 दिनों में टीका दिया तो यूनाइटेड किंगडम को 70 लाख लोगों को टीका देने में 48 दिनों का समय लगा. विश्व स्तर पर कोरोना के ग्राफ को देखा जाये तो इसमें भी भारत बेहतर स्थिति बरकरार रखने में सफल हो पाया है. मसलन भारत में प्रति 10 लाख की आबादी में सिर्फ 104 कोरोना के एक्टिव केस हैं तो दूसरी ओर जर्मनी में 10 लाख की आबादी में 2075 एक्टिव केस, रूस में 2864 एक्टिव केस, ब्राजील में 3894 एक्टिव केस, इटली में 6789 एक्टिव केस, यूनाइटेड किंगडम में 27186 एक्टिव केस और अमेरिका में 28859 एक्टिव केस हैं.
वैक्सीनेशन की शुरुआत होने के बाद कोविड-19 के नये केस की संख्या सिमटती जा रही है. अब देश के सिर्फ छह राज्यों में ही कोविड-19 के 85 फीसदी नये केस पाये गये हैं. ऐसे राज्यों में केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक और गुजरात शामिल हैं. दूसरी ओर कोरोना को लेकर सुखद समाचार है कि पिछले 24 घंटे को दौरान देश के 17 राज्यों में किसी भी पॉजिटिव की मौत नहीं हुई है. जिन राज्यों में 24 घंटे में कोई भी मौत दर्ज नहीं की गयी है उसमें तेलंगाना, गुजरात, असम, हरियाणा, ओड़िसा, उत्तराखंड, मेघालय, नागालैंड, लक्षद्वीप, लद्दाख, सिक्किम, मणिपुर, अंदमान निकोबार द्वीप समूह, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश तथा दादर और नगर हवेली शामिल है.

लेखक- शशिभूषण कुंवर, वरिष्ठ पत्रकार