जिंदगी के उतार-चढ़ाव में भाभी के न होने का गम, पढ़ें शमी अहमद का ये मार्मिक लेख

शमी अहमद ने अपने भाभी के इंतकाल पर अपना गम फेसबुक पर जाहिर किया है। इस गम में जिंदकी के उतार-चढ़ाव भी हैं, उनकी यादें भी हैं और उनके न होने का दुख भी। आप भी पढ़ें यह मार्मिक पोस्ट..

वो मेरी पहली भाभी थीं। नोमान भैया की बिटिया। वो भले नाती-पोतों वाली हो गईं लेकिन हमारे लिए ‘बिटिया’ (दुल्हन) ही रहीं।
अल्लाह मग़फिरत करे।

उनकी कहानी हर आम भारती औरत की कहानी की तरह है। हम उनकी शादी में बस से गए थे। ड्राम में बर्फ में घोलकर तैयार शर्बत पीने में बहुत अच्छा लगा था। रूह अफज़ा जो था।
जब हम भाबी को लेकर बस से अपने मुहल्ले के मोड़ पर उतरे तो दुल्हन वहां मौजूद सभी लड़कियों से आधा हाथ ऊंची थीं। हम सबकी बड़ी फूफी को बुलाया गया। उन्होंने भाबी को गोद उठाया और एक बार मे घर। इत्तेफ़ाक़ और अल्ल्लाह का करम की गोद उठाने वाली अभी हयात हैं जो कई बार रास्ते से लौटी हैं।

भाबी के ससुर यानी मेरे मंझले अब्बी तो माशाअल्लाह लंबे थे लेकिन उनकी सास का कद कम था। और नोमान भैया ने चाहे जितनी कसरत कर ली, कद में उनके बराबर नहीं हुए।

मेरे एक रिश्तेदार जो भाबी के बहुत करीबी थे, हमेशा मज़ाक़ से कहते थे: नसल सुधार देलको आके। भाबी मेरी मैडम की शाहीन आपा थीं, चचेरे दादा की पोती। नोमान भैया तो इकलौते भाई हैं लेकिन उनके अपने बेटे-बेटी भरपूर।

हम भाबी को बस एक बात के लिए याद करते हैं। अपनी दुनिया में मस्त। ये जो बैठते के साथ शिकायत की पुड़िया खोलने की आदत रहती है, उससे कोई वास्ता नहीं। चाहे कोई उनकी जितनी शिकायत कर ले। अल्लाह इसी बात पर मग़फिरत कर देगा, इंशाअल्लाह। शादी किसी की हो खूब दिल लगाकर गीत गाती थीं।

उन्होंने सेहत पर कभी ध्यान नहीं दिया। इधर, पेट बराबर खराब रहता था। अभी कोई 15 दिन पहले गया लायी गयी थीं। बेसुध। हमने जेपीएन अस्पताल में देखा तो कलेजा कांप गया। ढांचा थीं कह सुनकर इलाज हुआ। ठीक भी हुईं लेकिन 2 ही दिन में फिर वही हालत। भतीजे इमरान ने परसों बताया था कि कैसे पटना लाया। कैसे रुबन वालों ने हाँ कहकर भर्ती लेने से मना कर दिया।

पटना में इस वक़्त इलाज पैसे से ज़्यादा पैरवी की बात हो गयी है। कल शाम इमरान मां को लेकर कोलकाता के लिए निकला लेकिन धनबाद में ही यह सफर खत्म हुआ…। नालन्दा ज़िले के अस्थावां ब्लॉक के ओन्दा गांव की एक लड़की नवादा ज़िले के पकरी बरावां गांव के मोहल्ला चमन में मालिके हक़ीक़ी से जा मिली। किस्मत की बात देखिए कि उनकी मां अब भी हयात हैं।

Sami Ahmad की वाल से