नेपाल के नए नक्शे पर विवाद का असर, देश के सीमावर्ती इलाकों में देखने को मिलने लगा

नेपाल के नए नक्शे पर विवाद का असर देश के सीमावर्ती इलाकों में देखने को मिलने लगा है। खबर है कि सीमा पर कई जगहों पर सीमांकन के लिए लगाए गए पिलर गायब होने की सूचना सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने उच्च स्तर पर साझा की है। जिसपर विस्तृत रिपोर्ट एस एस बी मुख्यालय ने भी मंगाई है। वहीं एजेंसियों ने नेपाल की तरफ नई सीमा चौकी (बीओपी) बनाए जाने को लेकर भी अलर्ट किया है।

गौरतलब है कि सीमा पर कई जगहों पर एसएसबी ने पेट्रोलिंग बढ़ाई है। जबकि, शीर्ष स्तर पर अधिकारी इस मामले को ज़यादा तूल देने से बच रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट देख रहे हैं क्यों कि पहले से ही कई पिलर क्षतिग्रस्त हैं, साथही कुछ मिसिंग भी हैं। वहीं

एक अधिकारी ने कहा कि भारत नेपाल सीमा ये होना आम बात है। जानकारी मिलने पर मेंटेनेंस कराया जाता रहा है।

वहीं मीडिया रिपोर्ट एवं स्थानीय स्तर से रिपोर्ट है कि भारत-नेपाल सीमा के नोमेंस लैंड पर नेपाली नागरिक खेती कर रहे हैं। बतादें कि एस एस बी 39वीं वाहिनी के कमांडेंट ने दो जून को इस संबंध में एक चिट्ठी प्रशासन को लिखी थी।

 नेपाली नागरिकों द्वारा कब्जे की सुचना

एसएसबी की चिठ्ठी में नो-मेंस लैंड पर लगे पिलर संख्या 742 (सूडा गांव, पलिया) और पिलर संख्या 766 (मिर्चिया गांव संपूर्णानगर) में नेपाली नागरिकों द्वारा कब्जे की रिपोर्ट दी गई है। खबर है कि जहां पर विवाद गहराया है, वहां पहले कभी संयुक्त पैमाइश नहीं की गई है। अधिकारियों के मुताबिक सीमा पर 25 से 30 फीसदी पिलर गायब हैं। जिसे नेपाली नागरिकों द्वारा ही ढहाया गया है और वहां पर खेती की जाने लगी है। बतादें कि पिछले दिनों सीतामढ़ी के पास हुई घटना के बाद एसएसबी भी ज्यादा सक्रिय हुई है। साथही नेपाल की तरफ से गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।

पिलर क्षतिग्रस्त होने का कारण बाढ़, भूस्खलन भी रहा है

एसएसबी के अधिकारियों का कहना है कि पिलर क्षतिग्रस्त होने की घटनाएं कई बार बाढ़, भूस्खलन आदि से भी होती हैं। अधिकारियों ने माना कि कई जगह पर पिलर हटने से दिक्कत होती है क्योंकि स्पष्ट सीमांकन न होने से कब्जा की घटनाएं होती हैं। गौरतलब है कि दोस्ताना सीमा होने की वजह से भारतीय बल नेपाली नागरिकों से बहुत सख्ती से नहीं पेश आते।