डब्ल्यूएचओ का मानना है कि कजाखिस्तान में अज्ञात निमोनिया संभवत कोविड-19

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आपात स्थिति प्रमुख डॉ. माइकल रेयान ने कहा है कि संगठन का मानना है कि कजाखिस्तान में अज्ञात निमोनिया की महामारी संभवत: कोरोना वायरस की वजह से है। उन्होंने बताया कि पिछले सात दिनों में 10,000 से अधिक मामलों के साथ देश में संक्रमण बड़ी तेजी से बढ़ा है। रेयान के मुताबिक मंगलवार को देश में सामने आए 50 हजार से कुछ कम मामलों में 263 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम वास्तविक जांच और उसकी गुणवत्ता को देख रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि अन्य निमोनिया वाले लोगों की रिपोर्ट गलत तरीके से निगेटिव नहीं आए जैसा अस्थायी नतीजों में आया था।’’
रेयान ने कहा कि कई निमोनिया के मामलों में संभवत: कोविड-19 की जांच ठीक ढंग से नहीं की गई। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर एक्स-रे की समीक्षा कर रहा और देख रहा है कि कहीं, इसकी परिपाटी कोविड-19 से तो नहीं मिल रही है। रेयान ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इनमें से कई मामले कोविड-19 के हैं, हम खुले दिमाग से विचार कर रहे हैं।’’ उन्होंने रेखांकित किया कि डल्ब्यूएचओ की टीम पहले ही कजाखिस्तान में मौजूद है।
हालांकि अन्य संभावनाओं पर भी विचार हो रहा है। बता दें कि चीनी दूतावास ने मध्य एशियाई देशों में रहने वाले अपने नागरिकों को चेतावनी दी थी कि यहां कोरोना जैसा अज्ञात निमोनिया फैला हुआ है।

डॉक्टर अंकित ने किया कोरोना रोगी के फेफड़ों का सफल प्रत्यारोपण

अमेरिका में भारतीय मूल के एक डॉक्टर अंकित भरत के नेतृत्व में सर्जनों ने कोविड-19 की वजह से खराब हो गए फेफड़ों का सफल प्रत्यारोपण किया है। बतादें इसके पहले भी इसी टीम ने एक महिला में फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया था।

हालांकि कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से अमेरिका में वह इस तरह की पहली सर्जरी मानी गई थी। इलिनोइस के एक 60 वर्षीय कोविड-19 रोगी को एक्सट्रॉस्पोरियल झिल्ली ऑक्सीकरण (ईसीएमओ) पर 100 दिन के लिए रखा गया। यह एक ऐसी लाइफ सपोर्ट मशीन है, जो हृदय और फेफड़ों का काम करती है।

हाई ब्लड शुगर से कोरोना संक्रमितों की मौत का खतरा अधिक

जाने माने डॉक्टर प्रभात रंजन ने बताया कि ब्लड शुगर का स्तर अधिक होने से कोरोना संक्रमितों की मौत होने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही उनमें संक्रामक बीमारी से अन्य गंभीर जटिलताओं का भी खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने ये बात कोरोना संक्रमित 605 लोगों पर किए अध्ययन में यह निष्कर्ष के आधार पर कही , जिनमें 114 मरीजों की मौत हो चुकी है।

अध्ययन में 322 पुरुष शामिल थे। डायबिटोलॉजिया पत्रिका में छपे शोध के अनुसार, हालांकि अस्पताल में भर्ती के दौरान फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज (एफबीजी) स्तर और कोरोना संक्रमितों के क्लीनिकल निष्कर्षों के बीच सीधा संबंध सही से स्थापित नहीं किया गया है।