वैश्विक नेताओं को कोरोना महामारी का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए: डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा कि विश्व नेता कोरोना वायरस की महामारी का ‘राजनीतिकरण’ नहीं करें बल्कि इसके खिलाफ एकजुट हों। उन्होंने याद दिलाया कि महामारी का प्रकोप अब भी बढ़ रहा है और रोजाना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से लगातार आलोचना का सामना कर रहे टेड्रोस की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब ब्राजील, इराक, भारत और दक्षिण एवं पश्चिमी अमेरिका में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है और स्थानीय अस्पताल भारी दबाव का सामना कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में महामारी के केंद्र रहे न्यूयॉर्क के लिए सोमवार का दिन अहम है क्योंकि इस दिन लॉकडाउन के तहत लगाई गई कई पाबंदियों को हटाया जा रहा है।

ट्रेडोस ने दुबई में आयोजित विश्व सरकार सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा, ‘‘दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या दस लाख पहुंचने में तीन महीने का समय लगा, लेकिन गत आठ दिनों में ही इतने मामले सामने आ गए हैं।’’ डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कभी भी ट्रम्प के नाम या अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग करने को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन महामारी के ‘राजनीतिकरण’ करने के प्रति चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘‘ सबसे बड़ा खतरा जिसका हम सामना कर रहे हैं, वह वायरस खुद नहीं है बल्कि वैश्विक एकजुटता और वैश्विक नेतृत्व की कमी है। हम खंडित विश्व के साथ इस महामारी को नहीं हरा सकते हैं।’’

उल्लेखनीय है कि ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ की, महामारी के शुरुआत में कथित तौर पर उचित कदम नहीं उठाने के लिए आलोचना की थी और उनका मानना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, चीन की अधिक प्रशंसा करता है। हालांकि, महामारी से निपटने में उनके प्रशासन की भूमिका भी सवालों में है। ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका अनुदान बंद करने की धमकी दी है। जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में करीब 90 लाख कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और 4,68,000 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक संक्रमितों की संख्या इससे कहीं अधिक है क्योंकि बिना लक्षण वाले मरीजों और सीमित जांच वास्तविक तस्वीर का पता लगाने में बाधा हैं।

ट्रेडोस ने कहा, ‘‘ कोविड-19 महामारी ने बताया कि दुनिया ऐसी स्थिति के लिए तैयार नहीं थी। वैश्विक स्तर पर इस महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है। दुनिया भर में विभिन्न कंपनियां कोविड-19 से लड़ने के लिए टीका विकसित करने का प्रयास कर रही हैं और इस दौरान यह भी बहस चल रही है कि कैसे इन टीकों का पारदर्शी वितरण सुनिश्चित किया जाए। सम्मेलन में बाद में बोलते हुए डब्ल्यूएचओ के विशेष दूत डॉ. डेविड नाबारो ने कहा कि उनका मानना है कि दुनिया में सभी तक टीका पहुंचने में ढाई साल का समय लग सकता है।’’ ब्रिटिश चिकित्सक ने कहा, ‘‘ अगर साल के अंत तक टीका आ भी जाता है तो सुरक्षा और प्रभाव जांचने के लिए कुछ समय लगेगा। इसके बाद इन्हें बड़े पैमाने पर उत्पादित करने की कोशिश होगी ताकि सभी तक इसकी पहुंच हो सके फिर टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित करना होगा।

’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे खुशी होगी अगर मैं गलत साबित हुआ।’’ इस बीच, संयुक्त राष्ट्र एड्स एजेंसी ने चेतावनी दी कि महामारी से विकासशील देशों में एड्स की दवा की आपूर्ति बाधित हो सकती है। एजेंसी ने कहा, कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन और सीमा को बंद करने के फैसले से दवाओं के उत्पादन और वितरण दोनों प्रभावित हो रहे हैं, जिससे अगले दो महीनों में दवा की कीमत में वृद्धि और कमी दोनों हो सकती है। यूएनएड्स का अनुमान है कि जून 2019 में 2.4 करोड़ लोग एंटी रिट्रोवायरल नामक दवा पर जिंदा है। एजेंसी की कार्यकारी निदेशक विनी बयानीमा ने बयान में कहा, ‘‘ मैं देशों और एचआईवी दवा के खरीदारों से अपील करती हूं कि मौजूदा इलाज जारी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए काम करें।’’