राजपक्षे परिवार कि इन पांच गलतियां से श्रीलंका में जन्मा आर्थिक और राजनीतिक संकट…..

कहते हैं समय हमेशा एक जैसा नही रहता। श्रीलंका के मौजूदा आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार माने जा रहे राजपक्षे परिवार पिछले 17 सालों तक श्रीलंका की राजनीति पर अपना वर्चस्व स्थापित कर चुका था। लेकिन, बदली परिस्थिति में चंद महीनों पहले श्रीलंका में जिस राजपक्षे परिवार के लोग ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और खेल मंत्री की कुर्सी पर काबिज थे, आज उनलोगो के सभी सदस्य अज्ञात स्थानों पर छिपने पर मजबूर हैं। दो महीने पहले उग्र प्रदर्शन के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को पद छोड़ना पड़ा, जिसके बाद वह शिप से अज्ञात स्थान पर चले गये।

लोगों का राजपक्षे परिवार पर गुस्सा इतना था कि श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से मेदामुलाना में स्थित उनके पैतृक आवास को भी फूंक दिया। शनिवार को प्रदर्शन के पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भी नेवी की मदद से शिप से सुरक्षित निकल जाने की सूचना है। प्रदर्शनकारियों ने कुछ दिन पहले गोटबाया के ऑफिस को निशाना बनाया था, जिसके बाद वह घर से ही ऑफिस चला रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को उनको घर से भी अपदस्त कर दिया। महिंदा के बेटे व पूर्व मंत्री नमल राजपक्षे का भी कोई पता नहीं चल रहा है।

क्या है श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक संकट की पांच बड़ी वजहें?

-सार्वजनिक सेवाओं के लिए विदेशों से बड़ी रकम कर्ज के रूप में ली, रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध ने फसलें बर्बाद कीं

-2018 में राष्ट्रपति गोटबाया ने रानिल विक्रमासिंघे को हटा कर अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे को पीएम बना दिया, कोर्ट ने फैसला पलटा

-2019 में इस्टर संडे पर चर्चों ओर होटल में हुए बम धमाकों ने श्रीलंका में पर्यटन को तहस-नहस कर दिया, बची कसर कोरोना ने पूरी की

-2019 में फिर चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति ने करों में कटौती की, राजस्व में भारी गिरावट, विदेशी बाजारों तक पहुंच खो दी

-सरकारी कर्ज का भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का रुख, ईंधन और अन्य जरूरी चीजों के आयात पर असर पड़ा और कीमतें बढ़तीं गयीं