गुजरात की साबरमती नदी में मिला कोविड-19 वायरस, नदी से लिए सभी सैंपल मिले संक्रमित

कोरोना संक्रमण ने अभी त्रासदी से देश उभर रहा है। हालांकि इन सबके बीच सरकारें तीसरी कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। इन सेबल बीच अमर उजाला में छपी यह खबर आप को परेशान कर सकती है। उन्होंने अपने प्रकाशन में लिखा है कि गुजरात के अहमदाबाद की लाइफलाइन कहे जाने वाली साबरमती नदी में कोरोना वायरस मिला है। जी हाँ अभी तक देश के कई शहरों में सीवेज लाइन में कोरोना वायरस के जीवित मिलने की पुष्टि हो चुकी है लेकिन पहली बार प्राकृतिक जल स्त्रोत में भी कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला है।  साबरमती नदी से लिए सभी सैंपल संक्रमित मिले हैं।

साबरमती के साथ ही अहमदाबाद के अन्य जल स्रोत कांकरिया, चंदोला झील से लिए गए सैंपल भी संक्रमित मिले हैं। इतना ही नहीं शोद्यार्थियों ने जब असम के गुवाहाटी क्षेत्र में भी नदियों की जांच की तो वहां भारू नदी से लिया एक सैंपल कोरोना संक्रमित मिला है।

इन सभी सैंपल में विषाणुओं की मौजूदगी काफी अधिक बताई गई है। आईआईटी गांधी नगर सहित देश के आठ संस्थानों ने मिलकर यह अध्ययन किया है जिसमें नई दिल्ली स्थित जेएनयू के स्कूल ऑफ इनवॉयरमेंटल साइंसेज के शोद्यार्थी भी शामिल हैं।

गांधीनगर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के पृथ्वी विज्ञान विभाग से मनीष कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष सीवेज से सैंपल लेकर जांच के दौरान कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला था।

इस अध्ययन के बाद प्राकृतिक जल स्रोत के बारे में भी पता लगाने के लिए दोबारा अध्ययन शुरू किया गया। चूंकि अहमदाबाद में सबसे ज्यादा वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं और गुवाहाटी में एक भी प्लांट नहीं है। इसलिए इन दोनों शहरों का चुनाव करते हुए सैंपलिंग शुरू की गई।

मार्च तक गुवाहाटी में करते रहे जांच

शोधार्थियों ने बताया कि साबरमती से सभी संक्रमित सैंपल मिलने के बाद गुवाहाटी में काम शुरू किया गया। मार्च तक यहां सैपलिंग और जांच चलती रही और उस दौरान भारू से लिए नदी में सैंपल संक्रमित मिले हैं। हालांकि ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर आशंका कम है। एक मानना यह भी है कि वहां कोरोना के मामले कम होने के चलते भी ऐसा हो सकता है।

सभी प्राकृतिक जल स्रोत की जांच जरूरी

मनीष के मुताबिक तीन सितंबर से 29 दिसंबर 2020 तक हर सप्ताह सैंपल लेने के बाद जांच की गई और इसमें की काफी मौजूदगी पाई गई। साबरमती से 694, कांकरिया से 549 और चंदोला से 402 सैंपल लिए गए जो जांच में संक्रमित पाए गए।

इससे साफ पता चलता है कि वायरस प्राकृतिक जल में भी जीवित रह सकता है। इसलिए देश के सभी प्राकृतिक जल स्त्रोत की जांच होनी चाहिए क्योंकि दूसरी लहर में वायरस के कई गंभीर म्यूटेशन भी देखने को मिले हैं।