बिहार की राजधानी पटना में बुधवार को सूबे के महापौर, उप महापौर काउन्सिल ऑफ बिहार की बैठक के दौरान महापौर पटना नगर निगम सीता साहू ने 31 मार्च 2021 को प्रकाशित गजट को काला कानून बताते हुए कहा कि 31 मार्च 2021 को सरकार द्वारा जारी गजट के माध्यम से नगरपालिका की शक्ति को छीनने के खिलाफ पटना नगर निगम के पार्षद सह सशक्त स्थायी समिति के सदस्य डा० आशीष कुमार सिन्हा एवं अन्य पार्षदों द्वारा जो याचिका दायर की गयी है उसमें महापौर, उप महापौर काउन्सिल ऑफ बिहार इंटरवेनर बनेगा।
उन्होंने बताया कि बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 के तहत महापौर, उप महापौर पर दो वर्ष के उपरान्त, एक वर्ष बाद तथा पुनः एक वर्ष के बाद जो अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है उसकी निंदा की तथा सरकार से इसको समाप्त कर पूर्व कार्यकाल में एक बार प्रस्ताव लाने हेतु अधिनिमय में संशोधन करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के 73वाँ एवं 74वाँ संशोधन के आधार पर बिहार सरकार द्वारा पंचायती राज के तहत कोविड-19 के कारण सभी स्थान पर उसी पद को परामर्शी बनाया गया है जबकि इसी बिहार राज्य में शहरी निकाय अन्तर्गत बेगुसराय नगर निगम या अन्य निकायों में प्रशासक नियुक्त करने की घोर निन्दा की गयी और पंचायती राज की तरह व्यवस्था कायम करने की मांग की गयी।
उन्होंने बताया कि गैर संवैधानिक प्रस्ताव को सरकार के समक्ष रख कर उसे पारित कराने वाले पदाधिकारियों यथा- प्रधान सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग एवं संलिप्त पदाधिकारियों, कर्मियों के खिलाफ भी क्रिमिनल रीट दायर की जाएगी।
उन्होंने बताया कि पूर्व में भी कई अधिकारों के लिए महापौर, उप महापौर काउन्सिल ऑफ बिहार ने न्यायालय में याचिका दायर किया है, उससे अलग बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 में वायरस के रूप में मौजूद अनके प्रावधानों के विरुद्ध भी न्यायालय में अलग से याचिका दाखिल करेगी।
बेगुसराय के निवर्तमान महापौर उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि नगर निगम एक स्वायत्त संस्था है। सरकार ने 31 मार्च 2021 को प्रकाशित गजट के द्वारा निगमों के अधिकार छीनने का घोर अपराध किया है। इसपर न्यायालय में मुकदमा होना चाहिए।
मुज्जफरपुर नगर निगम के महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा जारी गजट से निगम अपंग हो गया है। निगम के सारे अधिकार को छीन लिया गया है। ऐसे प्रस्ताव को बनाने वाले सरकार को सुझाव देने वाले पदाधिकारियों, कर्मियों पर अपराधिक मुकदमा होना चाहिए क्योंकि इस तरह का प्रस्ताव संविधान के मूल भावना के खिलाफ है। गया नगर निगम के महापौर ने सरकार द्वारा प्रकाशित गजट को काला कानून बताया है तथा इसके खिलाफ न्यायालय में जाने की बात कही।
गया नगर निगम के उप महापौर अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 के विभिन्न धाराओं के तहत निगम को जो अधिकार दिए गए थे, उसे संशोधन कर निगम को शक्तिहिन कर दिया गया है। निगम को जो अधिकार दिये गये थे उसे छीन लिया गया है। इसके लिए प्रधान सचिव नगर विकास एवं आवास विभाग एवं वैसे पदाधिकारी जो संविधान तथा समय समय पर न्यायालयों द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ जा कर इस तरह का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखते हैं, उनके विरुद्ध न्यायालय में अपराधिक रीट करना चाहिए।
दरअसल, बैठक में उपस्थित सभी ने सर्वसम्मति से सरकार द्वारा धारा 36, 37, 38, 41,53, 56 एवं 435 में संशोधन करने एवं इससे संबंधित प्रकाशित गजट को काला अध्यादेश करार दिया है।
मालूम हो कि यह बैठक सीता साहू, महापौर पटना नगर निगम की अध्यक्षता में हुई। वहीं, इस बैठक में मुज्जफरपुर नगर निगम के महापौर सुरेश कुमार, बेगुसराय के निवर्तमान महापौर उपेन्द्र प्रसाद सिंह, गया के महापौर बिरेन्द्र कुमार, पटना नगर निगम की उप–महापौर श्रीमती मीरा देवी एवं गया नगर निगम के उप महापौर, अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव उपस्थित थे।
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