जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी के सेना पर दिए गए विवादित बयान से उनकी पार्टी ने ही किनारा कर लिया है। जेडीयू ने सेना को लेकर बलियावी की तरफ से दिए गए बयान को उनका व्यक्तिगत बयान बताया है।
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार के मुताबिक सेना को धर्म और जाति के पैमाने पर देखना सही नहीं है और बलियावी के बयान को सही नहीं ठहराया जा सकता।
बलियावी के बयान पर बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि गुलाम रसूल बलियावी को मुसलमानों की इतनी ही चिंता है तो 80% पसमांदा समाज को उनकी संख्या के अनुपात में समुचित सम्मान, न्याय, भागीदारी दिलाने के लिए धर्म सुधार आंदोलन चलायें। बलियावी का बयान हिंदू सनातन धर्म, धर्मगुरुओं के साथ ही भारतीय सेना के खिलाफ है। बयान की निंदा करता हूँ।
क्या था बयान
नवादा में इदारा-ए-शरिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जदयू नेता ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार पाकिस्तान से आए आतंकवादियों से निपटने से डरती है, तो उन्हें भारतीय सेना में 30 फीसदी मुस्लिम सैनिकों की भर्ती करनी चाहिए।
उन्होंने कहा था कि मैंने संसद में भी यह बात कही है और प्रधानमंत्री को यह बताना चाहता हूं कि लोहा लोहे को काटता है, गाजर नहीं काटता। अगर सरकार पाकिस्तानी आतंकवादियों से निपटने से डरती है तो उसे 30 फीसदी मुस्लिम बच्चों को भारतीय सेना में शामिल करना चाहिए। हम जानते हैं कि हमें अपने देश को बचाने के लिए क्या करना चाहिए।
बलयावी ने कहा कि डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसे मुसलमान ही थे जिन्होंने पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं का करारा जवाब दिया।
उन्होंने कहा, जब पाकिस्तान भारत को अपनी परमाणु मिसाइलों से धमका रहा था, तब नागपुर का कोई संत उन्हें जवाब देने नहीं गया। यह एक मुस्लिम का बेटा थे, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, जिसने पड़ोसी देश को जवाब दिया।
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