सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ देशभर में अब भी विरोध जारी है. तेलंगाना सरकार ने विधानसभा में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कानून को संशोधित करने की अपील की है और कहा है कि कानून में धर्म या फिर अन्य देशों से संबंधित उल्लेख को हटाया जाए. विधानसभा से पास प्रस्ताव में कहा गया है कि तेलंगाना सरकार एनपीआर और एनआरसी जैसी प्रक्रियाओं से जनता को सुरक्षित करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी.
CAA को लेकर लोगों की चिंता वाजिब
मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि एनपीआर और एनआरसी के क्रियान्यवन को लेकर लोगों के बीच चिंता है. तेलंगाना विधानसभा में विवादित कानून के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए सीएम के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि, “सीएए ने देश में पहली बार भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए एक “धार्मिक परीक्षण” शुरू किया
विस से पास प्रस्ताव की संवैधानिक वैधता नहीं
वहीं केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि केरल विधानसभा से पारित सीएए के खिलाफ पास इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है क्योंकि नागरिकता का मसला केंद्र का है. उन्होंने यह भी साफ किया था कि असल में इस प्रस्ताव का कोई भी मतलब नहीं है.
कानून को मानना राज्य सरकार की वाध्यता
इससे पहले गृह मंत्रालय भी यह साफ कर चुका है कि कोई भी राज्य संशोधित नागरिकता कानून को लागू करने से मना नहीं कर सकता है। जानकारों की भी मानें तो राज्यों को हर हाल में नागरिकता संशोधन कानून को लागू करना ही होगा.
तेलंगाना बना देश का 7वां राज्य
नागरिकता संसोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला तेलंगाना देश की 7वां राज्य बन गया हैं. इससे पहले पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और बिहार केंद्र सरकार के खिलाफ ताज़ा विवाद पर प्रस्ताव पास कर चुके हैं.
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