मैथिली साहित्य और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति,नही रहें प्रसिद्ध मैथिली कवि एवं गीतकार रवींद्र नाथ ठाकुर, मुख्यमंत्री ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त कर दि विनम्र श्रद्धांजलि।




यूं तो धरती पर जन्म लेने वाला हर शख्स एक दिन मृत्यु की शैय्या पर सोता है। परंतु कुछ लोग अपने प्रतिभा के दम पर समाज और देश में ऐसा मुकाम हासिल कर जाते हैं। जिनको समाज कभी नही भूल पाता। कुछ ऐसे ही प्रतिभा के धनी थे मैथिली कवि और गीतकार रविंद्र नाथ ठाकुर। रविंद्र नाथ ठाकुर की मृत्यु पूरे मैथिली साहित्य और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मैथिली कवि एवं गीतकार रवींद्र नाथ ठाकुर के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि रवींद्र नाथ ठाकुर अपने मंचीय गायन के लिए मैथिलीभाषियों के बीच काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने मैथिली में अनेक पुस्तकों की रचना की। उनके निधन से साहित्य विशेषकर मैथिली साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति एवं उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

आपको बता दें कि मैथिली के महान गीतकार व कवि रवींद्र नाथ ठाकुर का बुधवार को दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे और कुछ दिनों से कैंसर से पीड़ित थे। वे मूल रुप से पूर्णिया जिले के धमदाहा के रहने वाले थे। प्रथम मैथिली फिल्म ममता गायब गीत के भी गीतकार रहे रवींद्र नाथ ठाकुर को प्रसिद्ध साहित्यकार बाबा नागार्जुन ने अभिनव विद्यापति का उपनाम दिया था और इस उपनाम से भी वे जाने जाते थे।

बिहार सरकार शिक्षा विभाग द्वारा गठित मैथिली अकादमी निदेशक सह सचिव के पद पर भी वे रह चुके हैं। मिथिलांचल के साथ-साथ पूरे देश में मैथिली को उन्होंने अपनी कलम व सुर से नई समृद्धि प्रदान की थी। उनकी पोती मशहूर पार्श्व गायिका परंपरा फिलहाल अलग ही धूम मचा रही है। प्रबोध साहित्य सम्मान, मिथिला रत्न सम्मान व मिथिला विभूति जैसे डेढ़ दर्जन से ज्यादा राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत रवींद्र नाथ ठाकुर के गीत अब भी मिथिला के हर घर में गुनगुनाए जाते हैं।