भाई दूज में कैसे करे भाई के लंबे उम्र की कामना, जानिए क्या है भाई दूज की पौराणिक कथा…..

इस बार 27 अक्टूबर को राज्यभर में भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। यह त्योहार बहने अपने भाई के लिए व्रत रख कर मनाती है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी रक्षा और भगवान से उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। जबकि भाई अपनी बहनों के पैर छूकर उन्हें शगुन के रुप में पैसा या उपहार देते हैं।

क्या है पूजा का शुभ समय……

भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि यानी 26 अक्टूबर को दोपहर 02:42 से 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 तक शुभ मुहूर्त रहेगा। भाई दूज के दिन बहन-भाई यमराज और चित्रगुप्त की पूजा करते हैं इस दिन प्रीति और आयुष्मान नाम के 2 शुभ योग बन रहें हैं।

भाई दूज मनाने की क्या रही है परंपरा…

. इस दिन भाई को तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है।

. भाई दूज में पूजा से पहले पिसे हुए चावल से चौक बनाएं ।

. अपने भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं

. फिर भाई को तिलक लगाएं

. तिलक लगाने के बाद अपने भाई की आरती उतारें

. उसके बाद भाई के हाथ में कलावा बांधें

. भाई को अपने हाथों से मिठाई खिलाएं।

. मिठाई खिलाने के बाद भाई को भोजन जरूर कराएं

पूजा की विधि पूरी होने के बाद भाई को अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार में जरूर देना चाहिए।

Bhai Dooj 2022: भाई दूज की कथा
हिंदू ग्रंथों के अनुसार यमराज और यमुना नदी दोनों भाई-बहन हैं। माना जाता है कि एक दिन यमराज को अपनी बहन यमुना की याद बहुत याद आती है। जिसके बाद यमराज उनसे मिलने पृथ्वी पर आते हैं। इस बात की जानकारी होते ही यमुना बेहद खुश होती है और अपने भाई यमराज के लिए खुद खाना बनाकर उन्हें खाना खिलाती है और माथे पर तिलक लगाती है। उस दिन से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भाई दूज पर्व मनाई जा रही है। इसे भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया जैसे कई नामों से जाना जाता है।