बिहार में एंजियोप्लास्टी के जनक पटना के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रभात का निधन हो गया है। हैदराबाद के एक अस्पताल में मंगलवार को डॉक्टर प्रभात ने अंतिम साँस ली। कोरोना के संक्रमण के बाद डॉ प्रभात कुमार के लंग्स ने काम करना बंद कर दिया था। जिसके बाद लगभग एक महीने तक उनका इलाज चला।कोरोना संक्रमित होने के बाद परिजनों ने उन्हें मेडिवर्सल अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन हालत बिगड़ती चली गई। 8 दिन पहले उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो होने के बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से हैदराबाद के किम्स अस्पताल में ले जाया गया था। उन्हें किम्स अस्पताल में इकमो पर रखा गया था। जहाँ उनकी तबीयत थोड़ी सुधर आ रही थी। उनका ऑक्सीजन लेवल भी बेहतर हो गया था। तीन दिन पहले ही कोरोना जांच में वह निगेटिव पाये गये थे। इस बीच उनकी सांस नली का ऑपरेशन भी किया गया, लेकिन अचानक हार्ट अटैक आने के बाद उनका निधन हो गया। डॉक्टर प्रभात के निधन के बाद चिकित्सा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
मुख्यमंत्री ने शोक जताया
उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शोक जताते हुए इसे व्यक्तिगत क्षति बताया है। वहीं आईएमए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने नम आंखों से शोक जताते हुए कहा कि बिहार में अब दूसरा प्रभात नहीं होगा। वह डॉक्टर नहीं सचमुच भगवान का रूप थे। चिकित्सा जगत के लिए इससे बड़ी क्षति नहीं हो सकती है कि ऐसे युवा होनहार और हरदिल अजीज असमय काल के गाल में समा गए।
पिछले 24 साल से प्रैक्टिस कर रहे डॉ प्रभात ने 1997 में दिल्ली राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बतौर कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में सेवा दी थी। कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद वे पटना आ गये थे औऱ पटना में अपनी प्रैक्टिस शुरूआत की। जिसके कुछ दिनों के अंतराल में ही उन्होंने पटना के सबसे प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी पहचान बना ली। डॉ प्रभात समाज सेवा के कामों से भी जुड़े थे औऱ गरीबों का मुफ्त इलाज भी करते थे।
बिहार में शुरू की थी एंजियोप्लास्टी
डॉ प्रभात ने बिहार में एंजियोप्लास्टी की शुरूआत की थी। इससे पहले एंजियोप्लास्टी के लिए बिहार के लोगों को दिल्ली या दूसरे बड़े महानगरों में जाना पडता था। डॉ प्रभात ने पटना के हार्ट अस्पताल में इसकी शुरूआत की। बाद में पटना के राजेंद्र नगर में हृदय रोग के अस्पताल मेडिका हार्ट इंस्टीच्यूट को स्थापित करने में भी डॉ प्रभात की बड़ी भूमिका रही।
कोरोना में बिहार ने खोएं सबसे ज्यादा डॉक्टर
भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक चौंकाने वाला आंकड़ा जारी किया है। आईएमए के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अबतक 269 डॉकटरों की जान जा चुकी है। आईएमए ने सभी राज्यों का आंकड़ा जारी किया है। हालांकि, पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में डॉक्टरों की हुई मौत का आंकड़ा कम है। बता दें कि कोरोना की पहली लहर के दौरान 748 डॉक्टरों की जान गई थी।
आईएमए की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा डॉक्टरों की जान बिहार राज्य में गई है। बिहार में कुल 78 डॉक्टरों ने दूसरी लहर के दौरान दम तोड़ा है। इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है, जहां 37 डॉक्टरों ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हार मानी है।
इसके बाद दिल्ली में 28 डॉक्टरों की दूसरी लहर के दौरान मौत हुई। वहीं आंध्र प्रदेश में 22 डॉक्टरों ने जान गंवाई। इसके अलावा महाराष्ट्र, जहां सबसे ज्यादा कोरोना के मामले हैं, वहां 14 डॉक्टरों ने दूसरी लहर के दौरान दम तोड़ा है।
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष का निधन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन के प्रमुख एवं पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल(62) का सोमवार रात करीब 11.30 बजे कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया। वे पिछले कई दिन से एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती थे। तीन दिन पहले ही तबीयत बिगड़ने के चलते उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।
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