
कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी और माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट ने बैक्टीरियोलॉजिकल पर अध्ययन किया है। डॉक्टरों ने ये खुलासा किया कि सर्जरी के बाद मरीज के शरीर में छिपा बैक्टीरिया ही जानलेवा बन जाता है। ये किसी की भी त्वचा या नाक में स्थायी तौर पर रहता है। जब मरीज की इम्युनिटी कमजोर होती है तो छिपे ये बैक्टीरिया सक्रिय होकर हमला कर देते हैं। देखते ही देखते मरीज सेप्टीसीमिया के घेरे में फंसने लगता है। दरअसल डॉक्टर मरीज में होने संक्रमण के लिए ऑपरेशन थिएटर को ही जिम्मेदार मानते थे। लेकिन अब ये मिथक टूट गया है।
डॉक्टरों ने सर्जरी के बाद मरीजों में सर्जिकल साइट संक्रमण की मूल वजह के लिए स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया को जिम्मेदार माना है। यह मरीज की त्वचा और नाक पर घरौंदा बनाकर रहता है। हैलट अस्पताल में सर्जरी के आए 1230 मरीजों पर अध्ययन किया गया तो पता चला कि स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया से ही रोगियों में संक्रमण आया। ऑपरेशन के बाद 15 प्रतिशत में संक्रमण पाया गया।
स्टैफिलोकोकल संक्रमण स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमणों का समूह है। संक्रमण का स्पेक्ट्रम मामूली फोड़ा या त्वचा के फोड़े से लेकर जानलेवा संक्रमण जैसे सेप्टीसीमिया (रक्त का संक्रमण) या एंडोकार्डिटिस (हृदय के स्तर का संक्रमण) तक हो सकता है। स्टैफिलोकोकी के कई प्रकार हैं लेकिन अधिकांश संक्रमण स्टैफिलोकोकस ऑरियस के कारण होते हैं।
उम्रदराज लोगों में कम हो जाती है इम्युनिटी सिस्टम
अध्ययन में पाया कि 148 को सर्जरी के बाद इसी बैक्टीरिया के कारण संक्रमण हुआ, जिसमें सभी हैवी एंटीबायोटिक दी गईं लेकिन 18 मरीजों को सेप्टीसीमिया के कारण नहीं बचाया जा सका, इन सभी की उम्र 59 साल पार रही। उम्रदराज मरीजों में इम्युनिटी कमजोर होना वजह बनता है क्योंकि इन सभी को डायबिटीज और हाइपरटेंशन ने पहले ही कमजोर कर दिया था।
सर्जरी विभाग और एसआईसी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रो. आरके मौर्या ने बतायाा कि स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया ही सर्जरी के बाद संक्रमण के लिए जिम्मेदार होता है। सर्जरी के समय सारे टेस्ट करा लिए जाते हैं पर हर किसी की इम्युनिटी अलग-अलग होती है इसलिए किसी को भी सर्जरी के बाद संक्रमण हो सकता है। फोडे-फुंसी में भी इसी बैक्टीरिया का रोल होता है।
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