मोदी कैबिनेट ने ’विवाद से विश्वास बिल’ में बदलाव को दी मंजूरी, 3 बीमा कंपनियों को मिलेंगे 2,500 करोड़ रुपये

 

मोदी कैबिनेट ने ’प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020 में बदलाव करने को मंजूरी दे दी. इस बदलाव का उद्देश्य विधेयक का दायरा बढ़ाकर उन मुकदमों को शामिल करना है जो विभिन्न कर्ज वसूली न्यायाधिकरणों में लंबित हैं। प्रत्यक्ष कर से जुड़े कानूनी विवादों में कमी लाने के इरादे से यह विधेयक इस महीने की शुरूआत में लोकसभा में पेश किया गया. इसमें आयुक्त स्तर पर, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में लंबित कर विवादों को शामिल करने का प्रस्ताव है.

मोदी कैबिनेट की बैठक में बुधवार को कई अहम मुद्दों पर फैसला लिया गया. इस बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में विवाद से विश्वास बिल का दायरा बढ़ाने के लिए कुछ बदलाव को मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही जावड़ेकर ने बताया कि कीटनाशक बिल आया था लेकिन संसद में पास नहीं हो पाया था. अब संसदीय समिति के सुझावों को शामिल करते हुए नया बिल लाने का फैसला हुआ है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि डीआरटी में लंबित मामलों को भी अब इसमें शामिल करने का निर्णय किया गया है. उन्होंने कहा कि विभिन्न प्राधिकरणों और न्यायालयों में 9 लाख करेड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर मामले लंबित हैं।

3 बीमा कंपनियों को 2,500 करोड़ रुपये

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन जनरल बीमा कंपनियों में 2,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाले जाने को भी मंजूरी दी गई. ये तीन कंपनियां हैं नेशनल इंश्यारेंस कंपनी लि., ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी

मेजर पोटर्स अथॉरिटी बिल को मंजूरी

इसके साथ ही कैबिनेट ने देश के 12 बंदरगाहों को संचालित करने के लिए मेजर पोर्ट्स अथॉरिटी बिल को मंजूरी दे दी. इसके लिए 1963 एक्ट को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा. इससे देश के सभी बड़े बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी ताकि इस सेक्टर में विकास की रफ्तार संतोषजनक ढंग से बढ़ाई जा सके.