अयोध्या के बाद अब काशी-मथुरा विवाद पर भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका, 29 साल पुराने कानून को दी गई चुनौती

अयोध्या विवाद के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में काशी-मथुरा विवाद पर भी याचिका दाखिल की गई है. हिंदी पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को चुनौती दी है. याचिका में काशी व मथुरा विवाद को लेकर कानूनी कार्रवाई को फिर से शुरू करने की मांग की गई है.एक हिंदू संगठन ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसके तहत 29 साल पहले बनाए गए कानून को चुनौती दी गई है. दरअस प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 के तहत कहा गया है कि आजादी के बाद कोर्ट की दखल के बाद भी धार्मिक जगहों की यथास्थिति बरकरार रहेगी. लेकिन अब इसे चुनौती दी गई है.

हिंदू संगठनों का दावा- मस्जिदों के निर्माण के लिए मंदिरों को किया गया था ध्वस्त

अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला आने के बाद से ही कई संगठन इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कर रहे थे. हिंदू संगठनों का दावा है कि मस्जिदों के निर्माण के लिए काशी और मथुरा में मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था. दावा किया जाता है कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्ञानवापी मस्जिद ने अतिक्रमण किया था. कहा ये भी जाता है कि इस जगह पर मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करके औरंगजेब ने 1669 में मस्जिद का निर्माण किया था. इसके अलावा मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह भी लंबे समय से विवाद में है.

विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की राय


बता दें कि सिर्फ राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ही एक ऐसा विवाद था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. दरअसल ये पूरा विवाद 1947 से पहले का था.  रामलला को विवादित जमीन का मालिकाना हक मिलने के बाद वहां मंदिर बनने का रास्ता भी साफ हो गया है. अयोध्या मामले पर कोर्ट के फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने देश के तमाम विवादित धर्मस्थलों पर भी अपना रुख स्पष्ट किया था.