LAC पर शहीद सुनील कुमार का पार्थिव शरीर तारानगर पहुँचते ही गमगीन हुआ पूरा गांव, अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में जुटे लोग 

चीनी सैनिकों के साथ युद्ध में सोमवार की रात लद्दाख की गलवान वैली में शहीद हुए सुनील कुमार का पार्थिव शरीर बिहटा प्रखंड के तारानगर पहुंचा। आर्मी की सेना ने शव को पूरे संम्मान के साथ उतारा और परिजनों से मिलाने के लिए घर के अंदर ले गए। वही इलाके के लोग शहीद सुनील कुमार के अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इस दौरान चीन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की और इसका बदला लेने के लिए नारे भी लगाए। वही शव को घर के बाहर निकालने के साथ ही लोगो ने तिरंगा यात्रा के लिए रैली निकाली जाएगी।

 

अपने बेटे की शहादत पर पिता को गर्व

बूढ़ी मां का रो-रो कर बुरा हाल

शहीद सुनील के 85 वर्षीय पिता वासुदेव साह लकवाग्रस्त हैं। इसके बावजूद भी उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व तो है, लेकिन सुनील की पत्नी और उनकी बेटी की जिंदगी आगे कैसे कटेगी यह सोच कर वो दुखी भी हैं। मां रुकमणी देवी की तो मानो दुनिया ही उजड़ गई। बूढ़ी मां का रो-रो कर बुरा हाल है और बार-बार वह अपने बेटे सुनील का नाम लेकर बेहोश हो जा रही हैं।

छह महीने पहले छुट्टी पर आये थे शहीद सुनील

वहीँ शहीद सुनील के भांजे पवन कुमार को भी समझ में नहीं आ रहा कि अचानक से ऐसा क्या हो गया। दो दिन तक जो मामा फोन पर बात कर रहे थे अचानक सबको छोड़ कर चले गए। पवन का कहना है कि मामा सुनील उन्हें सेना में भर्ती के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे।इसी महीने उनके भांजे की शादी थी. जून में आने के लिये उन्होंने छुट्टी के लिये आवेदन कर दिया था. कोराेना के कारण शादी टल गयी तो उन्होंने नवंबर में आने के लिये छुट्टी मंजूर करा ली. चीन से संघर्ष होने वाली रात से कुछ घंटे पहले उन्होंने पत्नी रीति देवी से फोन पर बात की थी. नवंबर में घर आने और इस दौरान क्या- क्या करना है, कहां घूमने जाना है इसका प्लान बताया था. लद्दाख में ढाई साल से तैनात सुनील छह महीने पहले छुट्टी पर आये थे.

जनप्रतिनिधियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू

अब उसके मन में लगातार यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर उसे कब सेना में भर्ती होने का मौका मिलेगा ताकि चीन को धूल चटा सके। सुनील के घर पर जनप्रतिनिधियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है।