बाढ़ के दौरान दूध के पैकेट की तरह मिलेगा पानी और खाना, जानिए क्या है वजह ?

बिहार में इस बार मानसून की स्थिति काफी अच्छी है, इसलिए राज्य में बारिश की संभावना भी बीते कई सालों से बेहतर है। ऐसे में कई जिलों में अभी से हीं बाढ़ जैसे हालात बने हैं। राहत और बचाव कार्य में कोरोना के संक्रमण को रोकना भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में दूध के पैकेट की तरह पानी के पैकेट और डब्बा बंद खाना देने पर विचार किया जा रहा है। कोरोना का फैलाव रोकने के लिए सामुदायिक किचन में ऐसी व्यवस्था की जाएगी। लोग बिना एक दूसरे के संपर्क में आए अपने परिवार के साथ बैठकर खाना खा सकेंगे।

नेपाल से आने वाली नदियों से बाढ़ का खतरा

दरअसल इस बार बिहार में मानसून काफी अच्छा है। बीते कई वर्षों की तुलना में इस बार बारिश की स्थिति अच्छी है। अच्छी बारिश के कारण जहां खेती आसान हुई है वहीं दूसरी ओर बिहार में बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है। खासकर नेपाल से आने वाली नदियों में पानी आने पर उत्तर बिहार के डेढ़ दर्जन जिले बाढ़ की चपेट में कभी भी आ सकते हैं। इस परिस्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग कार्य योजना बनाकर काम कर रहा है।

कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर पहल

कोरोना काल को देखते हुए लोगों को इससे बचाने के लिए विभाग रेडीमेड खाने का पैकेट देने पर विचार कर रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अब तक बाढ़ राहत शिविर में बच्चों, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं को दूध का पैकेट दिया जाता रहा है। बाकी थाली में लोग खाना लेकर खाते हैं। पानी की अलग व्यवस्था होती है। लेकिन इस प्रक्रिया में भीड़ लग सकती है। इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक रहेगा।

मास्क, सेनेटाइजर सहित अन्य व्यवस्था के साथ आपदा प्रबंधन इस पर काम कर रहा है। बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई तो जिलों को इस बाबत आवश्यक निर्देश दिया जाएगा।