मानवाधिकार दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने आज नई दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से अपने संबोधन में श्री राय ने कहा कि भारत में वैदिक काल से ही मानव अधिकारों का अस्तित्व रहा है। वैदिक मंत्रों में सर्वे भवंतु सुखिना: सर्वे संतु निरामया की पंक्तियों में पूरी मानवता की भावना समाहित है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानव एवं मानवता के प्रति हमेशा संवेदनशील रहते हैं और मानवता की सेवा ही उनके जीवन का ध्येय है। श्री राय ने यह भी कहा कि गृह मंत्री अमित शाह मानव अधिकार आयोग को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कमजोर वर्गों के कल्याण और विकास को उच्च प्राथमिकता
नित्यानंद राय ने कहा कि केंद्र सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण और विकास को उच्च प्राथमिकता दी है। ऐसे कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा तभी की जा सकती है जब न केवल वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों बल्कि समाधान भी उन तक पहुंचे। उन्होने यहे भी कहा कि मानव अधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण में स्थानीय पंचायतों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए उन्हे सशक्त करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति के भोजन के अधिकार की रक्षा कर यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी भूखा न रहे। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूरों को सशक्त करने के लिए मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी में भी वृद्धि की गई है। कोविड-19 से प्रभावित प्रवासी मजदूरों के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने उनके खातों में डीबीटी के माध्यम से सीधे पैसे पहुंचाए। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आयोग भय और पक्षपात के बिना अर्द्धन्यायिक निगरानीकर्ता की अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है। उन्होने कहा कि मानवाधिकारों को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।श्री नित्यानंद राय ने कहा कि मानव अधिकारों की रक्षा करने में सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। सुरक्षा बल पूरे साहस के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के साथ ही नागरिकों के अधिकारों के प्रति भी अत्यंत संवेदनशीलता का परिचय दे रहे हैं।
राज्य की सभी नीतियों का आधार मानवाधिकार होने चाहिए
अपने सम्बोधन में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति पी.सी.पंत ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से यह वर्ष पूरी दुनिया में मानवता के लिए बहुत ही कठिन रहा है। इससे निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था और आम जनता की तरफ से एकजुट प्रतिक्रिया की जरूरत है। उन्होने कहा कि इस कठिन स्थिति से निपटने की सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था की सफलता इस बात पर निर्भर है कि मानव अधिकारों के सम्मान के हमारे आधार की जड़ें कितनी गहरी हैं। यह समय हमारी इस प्रतिबद्धता को फिर दोहराने का है कि राज्य की सभी नीतियों का आधार मानवाधिकार होने चाहिए।
न्यायमूर्ति पी.सी.पंत ने कहा कि आयोग पिछले 27 साल से लोगों के लिए अधिक से अधिक सुलभ होने का निरंतर प्रयास कर रहा है। लेकिन असाधारण समय के लिए असाधारण प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है। आयोग ने भी कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करते हुए इस साल अपनी अधिकतम गतिविधियों को ऑफलाइन से ऑनलाइन कर दिया है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के महासचिव बिम्बाधर प्रधान, एनएचआरसी के पूर्व अध्यक्ष और सदस्य, विभिन्न राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, केंद्र तथा राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, राजनयिक, सिविल सोसायटी के सदस्य और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
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