सुप्रीम कोर्ट ने शाहीनबाग मामले में दायर पुनर्विचार याचिका खारिज की, कहा- धरना कहीं भी नहीं दिया जा सकता

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग में हुए प्रदर्शन को लेकर जो फैसला दिया था, उस पर पुनर्विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. इस मामले पर किसान आंदोलन के साथ सुनवाई की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पुनर्विचार याचिका जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने खारिज की।

धरना प्रदर्शन अपनी मर्जी से और किसी भी जगह नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को शाहीन बाग मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने पिछले साल अक्तूबर में दिए शाहीन बाग फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि धरना प्रदर्शन लोग अपनी मर्जी से और किसी भी जगह नहीं कर सकते। विरोध जताने के लिए धरना प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन उसकी भी एक सीमा तय है। कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शन को गैर कानूनी बताया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए पुनर्विचार करने के लिए याचिका दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया है।

धरने के लिए सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता

पिछले साल अक्तूबर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि धरना प्रदर्शन के लिए जगह चिन्हित होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति या समूह इससे बाहर धरना प्रदर्शन करता है, तो नियम के मुताबिक प्रदर्शनकारियों को हटाने का अधिकार पुलिस के पास है। धरना प्रदर्शन से आम लोगों की जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। धरने के लिए सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता।