आईपीएस अधिकारी का ट्वीट एक missed call पर बीजेपी की सदस्यता दिलाने वाले, 100 call करने पर एक बेड और ऑक्सीजन नहीं दिला पा रहे।

बढ़ते कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेहद घातक साबित हो रही है और हर दिन सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं। उनसे होने वाली मौत के साथ अब ये विभिन्न कोरोना प्रहरी के साथ आईएस अधिकारी एवं डॉक्टरों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। बिहार भी इससे अछूता नहीं है। सरकार की की स्वास्थ व्यवस्था की पोल हस्पताल खोल रहे हैं। स्थिति यह है कि लोग इलाज के बगैर मर रहे हैं। त्रासदी यह है कि अस्पतालों में बेड नहीं है, यदि कहीं बेड है तो ऑक्सीजन नहीं और इन सबसे परे अगर बेड और ऑक्सीजन मिल गया तो दवाईयां नहीं। लोग त्रस्त है और सरकारें बड़ी बड़ी बातें कर रही। इस गुजरात के एक आईपीएस अधिकारी प्रेमसुख देलू ने ट्वीट कर लिखा कि एक missed call पर बीजेपी की सदस्यता दिलाने वाले , 100 call करने पर एक बेड और ऑक्सीजन नहीं दिला पा रहे।?

जिसपर लोगों की लगातार प्रतिक्रिया आ रही है इसपर @skchauhanAAP एक ट्विटर यूजर ने अरविन्द केजरीवाल के साथ टैग करते हुए लिखा कि आँखों का पानी बिल्कुल मर गया है केन्द्र सरकार के। जब कल मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal जी ऑक्सिजन समस्या बता रहे थे तो प्रोटोकॉल सिखा रहे थे। आज दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन न होने की वजह से लोगों की मौत हो रही है। जिन परिवारों ने अपनों को खोया उनके लिए कोई प्रोटोकॉल है क्या?

वहीं दुसरे मनमोहन तिवारी नाम के यूज़र ने @IPS_Association को टैग कर नसीहत देते हुए लिखा कि सर आप राजनीति में कम और pollicing पर ज्यादा ध्यान दीजिएl सभी सरकारें ज्यादा से ज्यादा जिंदगियाँ बचाना चाहती है चाहे वह कांग्रेस की हो या बीजेपी की कोई नहीं चाहता कि उसके देश में या उसके राज्य में किसी भी व्यक्ति की मौत मेडिकल सुविधाओं के अभाव में हो।

वही एक अन्य यूजर ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण के लिए विपक्ष को ज़िम्मेदार ठहराते हुए लिखा कि

इन सब पर Dr Kumar Mangalam नाम के एक उसरे ने लिखा कि दो मई का इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है अब…आप सभी राजनेता जीत चुके है… क्योकि जनता हार चुकी है…आपकी जीत के गवाह हैं ये बन्द पड़े बाजार ये लाशों से भरे श्मशान… लोकतंत्र में तंत्र का बचा रहना ज्यादा ज़रूरी है चाहे “लोक” बचे ना बचे…

 कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण लगातार संक्रमितों का आकड़ा बढ़ने के साथ मौतों का भी आकड़ा बढ़ता जा रहा हैl हमारे हस्पताल के साथ अब  शमशान और कब्रिस्तान भी छोटे पद रहे हैंl अब यह किसी एक शहर या कसबे की कहानी नहीं है, बल्कि हर दिन किसी न किसी शहर से ऐसी एक दास्तान सुनने को मिल रही है। बस अब इसे घर घर की बनने से पहले अंकुश लगाने की बात है।