भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में आया 67 प्रतिशत की गिरावट…..

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को लगातार चौथी बार बेंचमार्क लेंडिंग रेट में बढ़ोतरी की है। महंगाई पर काबू पाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। बता दें कि इसका निर्णय मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्यों द्वारा वोटिंग के माध्यम से किया गया। मौद्रिक नीति समिति में आरबीआई के तीन सदस्य और तीन बाहरी सदस्य शामिल थे। सदस्यों ने रेपो रेट को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.90% कर दिया। इसपर छह में से पांच वोटिंग के बढ़ोतरी पक्ष में थे।

नीतिगत दर रेपो 0.50 प्रतिशत बढ़कर 5.90 प्रतिशत हुई, जो तीन साल का सबसे ऊंचा है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर सात प्रतिशत किया गया। अगस्त में इसके 7.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जतायी गयी थी। सितंबर तिमाही में जीडीपी के 6.3 फीसदी, दिसंबर और मार्च की तिमाहियों में 4.6 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। मुद्रास्फीति का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया। दिसंबर तक मुद्रास्फीति के आरबीआई के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान है।

भारत की कच्चे तेल की खरीद की औसत कीमत 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद है। आरबीआई कीमतों को काबू में रखने को लिए उदार मौद्रिक नीति के रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। आरबीआई ने कहा कि रुपये की चाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले व्यवस्थित है। इस साल 28 सितंबर तक सिर्फ 7.4 प्रतिशत की गिरावट हुई है। आरबीआई ने रुपये के लिए कोई निश्चित विनिमय दर तय नहीं की है। अत्यधिक अस्थिरता पर अंकुश लगाने के लिए बाजार में हस्तक्षेप किया जाता है। इस साल 23 सितंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार 67 प्रतिशत घटकर 537.5 अरब डॉलर रह गया।

केंद्रीय बैंक को बाह्य क्षेत्र के घाटे को पूरा करने का भरोसा। बाह्य कारणों से वस्तुओं का निर्यात प्रभावित हुआ, निजी खपत में तेजी आ रही है। कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में हाल में हुई गिरावट अगर टिकाऊ रही, तो मुद्रास्फीति से राहत मिल सकती है। बैंक ऋण 16.2 प्रतिशत की तेज गति से बढ़ा है।मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-7 दिसंबर के बीच होगी।