LIC में जमा करते हैं पैसे तो सावधान ! आपका खजाना जोखिम में है…

आमतौर पर एलआईसी को सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनी होने के नाते भरोसे का दूसरा नाम माना जाता है। लेकिन हाल कि कुछ सालों की कई घटनाओं से यह साफ हो रहा है कि एलआईसी के मौजूद आपके बड़े भंडार पर जोखिम बढ़ रहा है।

बैंकों जैसा हाल एलआईसी का

भारी नकदी के भंडार पर बैठे होने की वजह से एलआईसी सरकार के लिए भी संकटमोचन का काम करती रही है, इसने सार्वजनिक कंपनियों और बैंकों के शेयर खरीद कर उनको बचाने का काम किया है। लेकिन एलआईसी के नवीनतम बहीखाता देखने से कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आती है।
एलआईसी भी वैसी ही गलती करती दिख रही है, जैसा निजी क्षेत्र को हजारों करोड़ के लोन बांटकर सार्वजनिक बैंकों ने किया है। इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में एलआईसी की गैर निष्पादित संपत्त‍ि  में 6.10 फीसदी की बढ़त हुई है. यह एनपीए निजी क्षेत्र के यस बैंक, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक के करीब ही है। कभी बेस्ट एसेट क्वालिटी के लिए ये मशहूर ये निजी बैंक बदले माहौल में बढ़ते एनपीए से परेशान दिख रहे हैं।
2019-20 की दूसरी तिमाही में यस बैंक का सकल एनपीए 7.39 फीसदी, आईसीआईसीआई का एनपीए 6.37 फीसदी और एक्सिस बैंक का एनपीए 5.03 फीसदी पहुंच गया था.

राहुल गांधी ने जताई चिंता

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बारे में चिंता जताते हुए बुधवार को एक ट्वीट भी किया है. उन्होंने कहा कि करोड़ों ईमानदार लोग एलआईसी में निवेश करते हैं, क्योंकि उनको इस पर भरोसा होता है. लेकिन मोदी सरकार एलआईसी को नुकसान पहुंचाकर इसके भविष्य के साथ ख‍लिवाड़ कर रही है और लोगों के भरोसे को नष्ट कर रही है.

कई कंपनियों को दिया है लोन

असल में सार्वजनिक कंपनी एलआईसी ने टर्म लोन और नॉन-कन्वर्ट‍बिल डिबेंचर (छब्क्े) के रूप में कई कॉरपोरेट कंपनियों को लोन दिया है। एलआईसी के पास करीब 36 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति या नकदी है। 30 सितंबर, 2019 तक एलआईसी का एनपीए बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

पिछले पांच साल में इसके एनपीए में दोगुना बढ़त हुई है और यह कुल एसेट का 6.10 फीसदी हो गया है। पहले एलआईसी की गैर निष्पादित संपति 1.5 से 2 फीसदी तक रही है। तमाम प्रतिस्पर्धा के बावजूद एलआईसी अभी काफी मजबूत है और करीब दो-तिहाई प्रीमियम में इसकी हिस्सेदारी है।