RBI ने रेपो रेट 4% एवं रिवर्स रेपो 3.35% रखा बरकरार; महंगाई को काबू में रखने को लिया गया फैसला

भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की त्रि दिवसीय बैठक 8 फरवरी को शुरू हुई थी। मालूम हो किआज 10 फरवरी को RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में पॉलिसी रेट में कोई बदलाव ना करने का फैसला किया है।

RBI गवर्नर के सामने ग्रोथ और महंगाई दर में संतुलन बनाने की चुनौती थी और शक्तिकांत दास ने महंगाई को काबू में रखने को प्राथमिकता देते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने एकमत से रेपो रेट 4% पर बनाए रखने का फैसला किया है।

रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह मई 2020 से ही 3.35% पर बरकरार है। मई 2020 से पहले एक साल में RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने 155 बेसिस अंक यानी 1.55% की बड़ी कटौती की थी। वहीं MSF रेट और बैंक रेट 4.25% पर पहले की तरह बरकरार रहेगा।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को MPC (मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी) की बैठक के बाद बताया कि फिस्कल ईयर 2023 में भारत की GDP ग्रोथ 7.8% रह सकती है। इसके साथ ही RBI ने अकोमडेटिव रूख रखने का फैसला किया है।

अकोमोडेटिव’ और ‘न्यूट्रल’ स्टैंस के क्या मायने हैं?

अकोमोडेटिव स्टैंस का मतलब है कि निकट भविष्य में आरबीआई पॉलिसी रेट में कमी करने जा रहा है। बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाता है। आम तौर पर जब एमपीसी का स्टैंस अकोमोडेटिव होता है तो पॉलिसी रेट में वृद्धि की उम्मीद नहीं की जाती है।

न्यूट्रल स्टैंस का मतलब है कि एमपीसी स्थिति के मुताबिक पॉलिसी रेट में कमी या वृद्धि कर सकता है। पिछले दो साल से आरबीआई की एमपीसी ने अकोमोडेटिव स्टैंस अपना रखा है। इसका मकसद कोरोना की मार से बेहाल इकोनॉमी की हेल्प करना था।