राज्य के कई शिक्षाविदों ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में लिया भाग।

मौलाना मजहरूल हक अरबी व फारसी विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने कहा कि बदलते जरूरतों को नई शिक्षा नीति का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

फुलवारीशरीफ/पटना : एस०टी० कॉलेज ऑफ एजुकेशन फुलवारी शरीफ, पटना में आई0 क्यू०ए०सी० के तत्वाधान में “शिक्षक-शिक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभावी क्रियान्वयन” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का संचालन महाविद्यालय के गैलेक्सी सभागार में वर्चुअल माध्यम से किया गया। जिसमें देश के कई राज्यों के शिक्षाविदों ने भाग लिया। मौलाना मजहरूल हक अरबी व फारसी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ० मो० हबीबुर रहमान ने वेबिनार का आयोजन कर रहे एस०टी०कॉलेज ऑफ एजुकेशन की पूरी टीम का उत्साहवर्धन करते हुए अपनी शुभकामना दी। नई शिक्षा नीति 2020 पर बोलते हुए उनका कहना था कि हमें उन आवश्यकताओं को समझने की जरूरत है जिसमें समय के साथ बदलाव आया है। उन्होंने ऐसी जरूरतों को नीति का हिस्सा बनाने पर बल दिया।

वेबिनार का आरंभ महाविद्यालय के प्रशिक्षुओं के स्वागत गान से किया गया। बाद में महाविद्यालय की निदेशिका डॉ० शाहिना खान ने उद्घाटन भाषण में वेबिनार में भाग ले रहे कुलसचिव डॉ० मो० हबीबुर रहमान, शिक्षाविदों तथा मुख्य वक्ता स्कूल ऑफ एजुकेशन के डीन डॉ० गोपाल कृष्ण ठाकुर एवं द्वितीय मुख्य वक्ता संत माइकल स्कूल, दीघा, पटना के सचिव फादर नॉर्वर्ट मिन्ज का अभिवादन करते हुए कहा कि “शिक्षक शिक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभावी क्रियान्वयन” संगोष्ठी के संचालन के लिए गणमान्यों एवं प्रतिभागियों को शुभकामना दीं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर बोलते हुए मुख्य वक्ता डॉ० गोपाल कृष्ण ठाकुर ने कहा कि वे उसी जमीन से आते हैं जहाँ प्रारम्भ से भारत में शिक्षा में अमूल चूल परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया था। उनका सीधा संकेत महाराष्ट्र के वर्धा से था। जहाँ से वे आते हैं। वर्चुअल गोष्टी में अपनी बात का आरम्भ वर्धा सम्मेलन, जिसमें बुनियादी शिक्षा पर जोड़ दिया गया था और बिनोबा भावे के भूदान आन्दोलन की चर्चा से की। अपने प्रस्तुति में उन्होंने प्री प्राइमरी शिक्षा को लेकर लोगों का ध्यानाकर्षण किया। उनका कहना था कि नई नीति में पूर्व बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा पर बल दिया गया है। इसके लिए ऐसे शिक्षकों की भी जरूरत पड़ेगी। जिसके लिए कवायद प्रारम्भ कर दी गई है। ऐसे शिक्षक उन तीन वर्ष के बाद के बच्चों को खेल-खेल में बहुत कुछ सीखा सकेंगे। उन्होंने ब्राजील के प्रशिक्षुओं की चर्चा करते हुए कहा कि वे शिक्षक इसलिए बनना चाहते हैं कि उन्हें और कोई विकल्प नहीं बचा। कमोवेश भारत के प्रशिक्षुओं की भी स्थिति वही है। हलांकि उन्होंने यह भी कहा कि अब तो शिक्षकों को अच्छी तनख्वाह भी मिलती है और शिक्षकों को भी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। युवाओं को अब अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। वहीं द्वितीय वक्ता फादर नॉर्वर्ट मिन्ज ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है इसके लिए हर राज्य को अपना योगदान देना होगा। उनका कहना था कि पूर्व में बच्चे स्कूल जा रहे थे पर उनमें गुणवत्ता नहीं थी। उन्होंने आँकड़ा बताते हुए कहा कि कक्षा पाँचवी के 45 फीसदी बच्चों को ठीक से पढ़ना नहीं आता जबकि अब खेल के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने बच्चों के पढ़ने, लिखने तथा बोलने की कौशल को निखारने पर बल दिया।

गौरतलब है कि इन दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर देश भर में निरंतर कार्यक्रम किये जा रहे हैं ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभावी क्रियान्वयन विषय पर किया गया यह वेबिनार मील का पत्थर साबित होगा। मौके पर शिक्षाविदों के साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध कर रहे शोधार्थी, प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, शिक्षक, बी०एड० एवं डी०एल०एड कर रहे शिक्षक प्रशिक्षु आदि शामिल हुए। वेबिनार के अंतिम पड़ाव में संयोजक नरेन्द्र कुमार ने पूरे कार्यक्रम का सारांश प्रस्तुत किया। वहीं समापन सत्र के दौरान धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एच०ओ०डी० चंद्रशेखर नाथ झा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। मौके पर संस्थान के अध्यक्ष तारीक रज़ा खान, सी०ए०ओ० तनु सिन्हा, शिक्षकगण एवं समस्त शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।