बिहार में सरकारी स्कूलों के विकास के लिए शिक्षा विभाग का सराहनीय कदम, अधिकारियों को महंगी पड़ेगी अब लापरवाही।

बिहार के सरकारी स्कूलों की शिक्षा को चुस्त-दुरुस्त और पहले की तुलना में और मजबूती प्रदान करने के लिए अब राज्य के शिक्षा विभाग के अधिकारी और मुस्तैदी से अपने भूमिका का निर्वहन करते नजर आएंगे। वे अपने पदस्थापना के कार्यालय में कम जबकि फील्ड में अधिक समय गुजारेंगे। शिक्षा की बेहतरी के लिए संचालित सरकार की योजनाओं की वस्तु-स्थिति को धरातल पर जाकर देखेंगे। पठन-पाठन, वर्गकक्ष संचालन, शिक्षकों की उपस्थिति का सघन अवलोकन करेंगे।

शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने इस महकमे में योगदान के साथ ही एक-एक निदेशालय और इकाई के कार्यकलापों की विस्तृत जानकारी लेने के बाद अफसरों के लिए कई निर्देश जारी किया है। उन्होंने बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालयों के अधिकारियों को साफ-साफ कहा है कि महीने में जितने कार्यदिवस आप कार्यालय में गुजारते हैं उसका दोगुना फील्ड में बिताइए।

महीने में 20 दिन क्षेत्र में जाकर निरीक्षण करने का टास्क उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सौंपा है। विदित हो कि शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पहले ही अधिकारियों को सघन निरीक्षण करने का निर्देश दिया था। बहरहाल, शीर्ष स्तर से निर्देश के बाद विभाग के निदेशालयों ने अपने पदाधिकारियों के जिलाभ्रमण के कार्यक्रम भी तय करने शुरू कर दिए हैं। सबसे पहले बीईपी ने अपने दस अधिकारियों के बीच भ्रमण के लिए जिले भी तय कर दिए हैं।

एएसपीडी रविशंकर सिंह व किरण कुमारी क्रमश: कैमूर व रोहतास तथा पटना एवं समस्तीपुर, एसपीओ सचींद्र कुमार वैशाली एवं मुजफ्फरपुर, रश्मि रेखा नालंदा एवं नवादा, लालिमा अरवल व जहानाबाद जायेंगे। असगर अली, इम्त्याज आलम, अश्विनी कुमार, भोला प्रसाद सिंह एवं रमण कुमार को भी दो-दो जिले का जिम्मा सौंपा गया है।

विद्यालयों के उत्तम संचालन में ग्राम शिक्षा समितियों की भूमिका अहम।

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि पिछले दशक में ग्राम शिक्षा समितियां स्कूलों के संचालन और बेहतर पठन-पाठन में अपनी अहम भूमिका निभाती थीं। एक बार फिर से उसी तर्ज पर विद्यालयों के कुशल संचालन में सामाजिक व सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने का हर स्तर पर प्रयास करें। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि हर हाल में स्कूल परिसर में बने शौचालय बच्चों के लिए उपलब्ध व क्रियाशील रहने चाहिए। इसको लेकर जो भी करना हो वह करिए।