तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय के बहुउद्देशीय प्रशाल में “बिहार में शिक्षा व्यवस्था की दशा एवं दिशा” पर किया गया प्रमंडलीय संवाद का आयोजन…….

समाज में चल रहे आज के राजनीतिक विमर्श में कैसे बदलाव लाया जाय, इसी सोच को लेकर कई सामाजिक संस्थाओं ने मिलकर क़लम सत्याग्रह नामक एक मंच का निर्माण किया है, जिसने शिक्षा को लेकर एक राज्यव्यापी अभियान की शुरूआत की है। उसी अभियान के अगली कड़ी के रूप में आज तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय के बहुउद्देशीय प्रशाल में “बिहार में शिक्षा व्यवस्था की दशा एवं दिशा” पर एक प्रमंडलीय संवाद का आयोजन किया गया। इस संवाद में भागलपुर प्रमंडल के विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त राजनीति, शिक्षाविद, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए। अपने स्वागत भाषण में कलम सत्याग्रह अभियान के संयोजक एवं कांग्रेस नेता आनन्द माधव ने कहा कि अशिक्षा से घना कोई अंधकार नहीं होता।समाज में शिक्षा से ही बदलाव संभव है। सही शिक्षा क्षारीय आज के नकारात्मक राजनीतिक बहस को सकारात्मक बहस में बदल सकती है।बिहार में शिक्षा की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है। जब तक शिक्षा राजनीतिक दलों का मुख्य मुद्दा नहीं बनेगा तब तक किसी भी विकास की कल्पना अधूरी है।

एक समय विक्रमशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के छात्र ज्ञान प्राप्ति को आते थे। टी एन बी कॉलेज को बिहार का ऑक्सफ़ोर्ड माना जाता था, पर आज यहाँ की शिक्षा दयनीय स्थिति में है। श्री आनन्द ने बताया कि इस प्रमंडल में कुल सरकारी विद्यालयों की संख्या 4165 है, लेकिन अगर उनकी स्थिति पर एक नजर डालें हैं तो वह भयावह है। 32.2 % स्कूलों को अपनी जमीन नहीं है।30.6% स्कूल में लाइब्रेरी या पढने की जगह या बुक बैंक उपलब्ध नहीं है और 94.7% स्कूलों में लाइब्रेरियन नहीं है। 98.1% स्कूल में इंटेरनेन्ट नहीं है, और 96%% स्कूल में कंप्युटर नहीं है, विडंबना यह कि हम डिजिटल युग में रह रहें हैं। 71.8% स्कूल में कोई मेडिकल चेकअप की सुविधा उपलब्ध नहीं है। 65.1% स्कूल में उस स्कूल के मुखिया यानि प्रधानाअध्यापक के लिए अलग से कोई कमरा नहीं है।56.8% स्कूल में खेल का मैदान उपलब्ध नहीं है। 8.5% स्कूल में हाथ धोने की सुविधा नहीं है और हम स्वच्छता अभियान की बात करतें है। दिव्यांगों के लिए 22.9% स्कूल में रैम्प उपलब्ध नहीं है। 68.6% स्कूल में हैंड रेल (रेलिंग) की सुविधा नहीं है।स्कूलों में किचन गार्डन की परंपरा रही है पर भागलपुर प्रमंडल के 88.5% स्कूलों में किचन गार्डन नहीं है।

सरकार का बयान आता है कि शिक्षक अपनी पूरी क्षमता का उपयोग बच्चों को पढ़ाने में नहीं करते। मर्ज़र के नाम पर स्कूलों को बंद किया जा रहा। पी एम श्री स्कूलों को लागू होने पर तो पचास प्रतिशत से भी अधिक सरकारी स्कूल बंद हो जायेंगे। नई शिक्षा नीति सरकारी व्यवस्था को कमजोर तथा निजी व्यवस्था को मज़बूती पर केंद्रित है।
बिहार के किसी भी विश्वविद्यालय में परीक्षा एवं सत्र दोनों लंबित चल रहें हैं। यही हल यहाँ का भी है।बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कलम सत्याग्रह एक दबाव समूह के रूप में भी काम करेगा और सरकार चाहेगी तो यह मंच उसका सहयोग भी कर सकती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी डा. राजीव कांत मिश्र ने कहा कि अपनें अधिकारों के साथ साथ हमें अपने कर्तव्य पर भी ध्यान देना चाहिये। समाज में शिक्षकों की अहम भूमिका है। ये हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं।क़लम सत्याग्रह का यह अभियान अत्यंत ही सराहनीय है जो शिक्षा के मुद्दे को हर चौक चौराहे पर लेकर जाना चाहता है। शिक्षा जब तक रोजगारपरक नहीं होगी तब तक वह बेमानी होगी। हम लगातार शिक्षित बेरोजगार का हुजूम खड़ा कर रहे हैं। बिहार जैसे राज्य को शैक्षणिक संस्थानों को प्रारंभिक स्तर पर ही वोकेशनल ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इससे पलायन भी रुकेगा।

आज तैयारी करने छात्र दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। बड़ी हास्यास्पद है कि शिक्षक बिहारी, छात्र बिहारी , पैसा भी बिहार का और जगह कोटा, दिल्ली, बंगलोर।
कलम सत्याग्रह की पृष्ठभूमि बताते हुए आरटीआई फोरम के संयोजक डॉ अनिल कुमार राय ने कहा कि कलम सत्याग्रह ने बिहार के शिक्षा एवं मानव विकास से जुड़े विभिन्न संगठनों ने संयुक्त रुप से बिहार में शिक्षा की बदहाली पर चिंता प्रकट करते हुए एक साथ नागरिक आंदोलन की परिकल्पना की है। सब का यह मानना है कि वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में बिहार की स्थिति बहुत ही दयनीय है। नई शिक्षा नीति इस व्यवस्था को और रसातल में ले जायेगी।इन्हीं सब मुद्दों पर एकजुट होकर नागरिक आंदोलन की परिकल्पना के रूप में कलम सत्याग्रह की शुरुआत की गई है। उन्होंने बताया कि यह अभियान हर प्रमंडल से होते हुए हर जिले और प्रखंडों तक जाएगा। हर विश्वविद्यालय, हर कॉलेज पहुंचेगा। हमारी माँग समान कार्य के लिये समान वेतन के साथ साथ समान शिक्षा प्रणाली को लागू करवाने की है।सरकारी वेतन पाने वाले अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ायें तथा पड़ोस के स्कूलों में अपनें बच्चों को पढ़ाने की परंपरा प्रारंभ होनी चाहिये।

प्रोफ़ेसर विजय कुमार ने कहा कि शिक्षा का केंद्रीयकरण हो रहा जबकि शिक्षकों केंद्र में होना चाहिये। टीईटी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था उतनी भी बुरी नहीं है कि हम सिर्फ़ आँसू बहायें।हम बहुत कुछ कर सकते हैं अगर हम अपने कर्तव्य को पहचान लें।

सामाजिक कार्यकर्ता यासमिन बानो ने कहा कि शिक्षा के अशिक्षा ही सारी समस्याओं की जड़ है। इसे दूर करने के लिये सबको आगे आना होगा। आज हमारी शिक्षा प्रणाली आई सी यू में है। आइये हम सब मिलकर इसे सामान्य करें। इस अभियान से एक नया सवेरा लायें।कलम सत्याग्रह” के सौरव सिन्हा ने कहा की हमें नीति एवं दोनों साफ़ रखकर इस अभियान को चलाना होगा।

भेटरन इंडिया की डा.संगीता तिवारी ने कहा कि शिक्षा का मुद्दा हम सब से जुड़ा हुआ है, और शिक्षा सीधे रूप से हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि सब का जड़ है।इसे एक अभियान नहीं वरना एक जीवन शैली के रूप में हम सबको अपनाना होगा।वरीय कांग्रेस नेता महेश प्रसाद राय ने कहा कि कलम सत्याग्रह का उद्देश्य शिक्षा के लिये जन-भागीदारी, जन-अधिकारपत्र एवं जन-अंकेक्षण जन-आंदोलन द्वारा स्थापित करना है।हम इस अभियान के साथ तन मन धन से हैं।ज़िला कांग्रेस के नेता अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि क़लम सत्याग्रह आज संविधान को अक्षुण्ण रखनें का एक बड़ा माध्यम बन गया है। समाजसेवी तारकेश्वर झा ने कहा कि ज्ञान का दीप जलेगा तभी समाज विकास की ओर अग्रसर होगा।

सभा के अंत में गांधीवादी नेता चंद्रभूषण  ने कहा कि कलम सत्याग्रह के रूप में एक हम सब के पास एक मौका आया है। ये अंधकार में प्रकाश के एक किरण के समान है। और धन्यवाद ज्ञापन किया। “समाजिक कार्यकर्ता श्री ने मंच का संचालन करते हुए कहा कि ग़ालिब ने कहा कि कलम सत्याग्रह का लक्ष्य स्पष्ट है और किसी कीमत पर उसको प्राप्त करना ही होगा।हम सब मिलकर इस कलम सत्याग्रह को हम समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति के पास ले जायेगा। क्योंकि स्कूलें में पहले उनको पहुँचना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त भागलपुर अन्य समाजसेवी हैदर अंसारी, असीम पाठक, सुबोध पांडेय, प्रपुन्न यादव, संदीप श्रीवास्तव, विजय सिंह कुशवाहा, पुष्पज जी, अभिषेक आनंद, आशुतोष राय आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये।