बुद्ध पूर्णिमा आज सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में, चंद्रग्रहण उपछाया, बधाई संदेश में नीतीश ने कहा कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु निर्धारित प्रोटोकाॅल का करें पालन

वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को बुद्ध जयंती के नाम से जानते हैं। दरअसल बौद्ध धर्म में वैशाख पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जीवन में एक विशेष स्थान है। इस तिथि को ही उनको कठोर तप के बाद बोधिवृक्ष के नीचे बोधित्व की प्राप्ति हुई थी और इस तिथि पर ही उनका देहांत हुआ था। बौद्ध अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं और उनके दिए उपदेशों को अपने जीवन में अक्षरश: पालन करने का प्रयत्न करते हैं।

नीतीश कुमार ने दी बधाई

नीतीश कुमार ने बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें दी हैं।

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें। भगवान बुद्ध का जीवन हमें प्रेम,सद्भाव,त्याग एवं अहिंसा का पाठ पढ़ाता है।सभी लोग घर में ही पूजा अर्चना करें। कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु निर्धारित प्रोटोकाॅल का पालन करें।

मुख्यमंत्री ने कोरोना के संक्रमण से बचाव हेतु निर्धारित प्रोटोकाॅल तथा लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुये लोगों से घर के अंदर ही पूजा-अर्चना करने की अपील की।

क्या है उपछाया चंद्रग्रहण

वैशाख शुक्ल पूर्णिमा बुधवार को अनुराधा नक्षत्र तथा वृश्चिक में इस साल का पहला चंद्रग्रहण लग रहा है। यह चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होगा। इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। स्नान-दान की यह पूर्णिमा सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में मनायी जाएगी।

ज्योतिषशास्त्र में ग्रहण को अशुभ माना जाता है। यह चंद्रग्रहण उपछाया होने के कारण इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा।  भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि आज साल का पहला चंद्रग्रहण दोपहर 03:15 बजे से आरंभ होकर  संध्या 06:23 बजे खत्म होगा ।

वही ग्रहण का मध्य काल शाम 04:49 बजे होगा क  वर्ष के प्रथम चंद्रग्रहण कि अवधि करीबन 03 घंटे 08 मिनट का रहेगा क  चंद्र ग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। पंडित झा ने कहा कि यह चंद्रग्रहण भारत  के पूर्वी क्षितिज पर दिखेगा।  ग्रहण काल में परिस्थितियां ऐसी बनेगी कि जिस समय ग्रहण का स्पर्श और मध्य समय रहेगा उस समय भारतीय दृश्यकाश से चन्द्रमा दिखाई नहीं देगा।