सिद्धू मुसेवाला हत्याकांड में दिल्ली पुलिस के स्पेशल टीम को मिली बड़ी सफलता, हत्यारे अंकित सेरसा और सचिन चौधरी को किया गिरफ्तार…

पंजाब के साथ भारत के युवाओं के चहेते संगीतकार सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में दिल्ली पुलिस के स्पेशल टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। इस मामले में तेजी से करवाई करते हुए पुलिस ने तीसरे शार्प शूटर अंकित सेरसा की गिरफ्तारी कर लिया है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने उसे दिल्ली के कश्मीरी गेट इलाके से बीती रात गिरफ्तार किया। उसके एक और साथी सचिन चौधरी को भी पकड़ा गया है। उससे पुलिस ने डोंगल, सिम और 2 मोाबाइल के अलावा पुलिस की 3 वर्दी बरामद की हैं।

शुरूआती जांच में पता चला कि अंकित सेरसा पंजाब पुलिस की वर्दी पहनकर घूम रहा था, ताकि किसी को उस पर शक न हो। उसके ठिकाने का पता चलने के बाद वह कुछ दिन पहले ही दिल्ली आया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल जल्द कान्फ्रेंस कर पूरे मामले का खुलासा करेगी।

वहीं, पहले पकड़े गए शामिल शार्प शूटर्स के लीडर प्रियवर्त फौजी और कशिश उर्फ कुलदीप को पुलिस पंजाब लेकर आएगी। उनके साथ केशव को भी लाया जाएगा। इसके लिए पंजाब पुलिस दिल्ली पहुंच गई है। तीनों इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद हैं। पुलिस उनका प्रोडक्शन वारंट मांग रही है। जिसके बाद ट्रांजिट रिमांड लेकर उन्हें मानसा लाया जाएगा।

वहीं मूसेवाला हत्याकांड के बाकी बचे शार्प शूटर मनप्रीत मनु कुस्सा, जगरूप रूपा और दीपक मुंडी के महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में छुपने के इनपुट मिले हैं। दिल्ली और पंजाब पुलिस उक्त राज्यों की पुलिस को साथ लेकर लगातार रेड कर रही है।

हत्या के बाद 9 दिन मानसा में रहे शूटर
दिल्ली पुलिस के गिरफ्तार किए प्रियवर्त फौजी से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। मूसेवाला की हत्या के बाद शार्प शूटर 9 दिन तक मानसा में किसी अज्ञात जगह पर छिपे रहे। इसके बाद वह लगातार ठिकाने बदलते रहे। अंत में गुजरात पहुंचे। जहां से फौजी और कशिश पकड़े गए। हालांकि अंकित सेरसा और दीपक मुंडी भाग निकले। सूत्रों की मानें तो जगरूप रूपा और मनु कुस्सा इनसे अलग चले गए।

अज्ञात व्यक्ति ने की मदद, हर सामान मुहैया कराया
सूत्रों के मुताबिक मानसा में छिपने के दौरान शार्प शूटर्स को खाने से लेकर जरूरत का हर सामान मुहैया कराया गया। हालांकि वह सामान कौन देकर जाता था, इसके बारे में शार्प शूटर्स को भी पता नहीं है। यह संभावना जताई जा रही है कि कनाडा बैठे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के गुर्गे ही उनकी मदद कर रहे थे।